पप्पू भाई की कहानी लगातार मेहनत कर सफलता की गाथा लिखने वाली अनोखी कहानी है. दिल्ली एनसीआर में छोटा-मोटा काम कर अपना परिवार पालने वाले लाखों लोगों ने कड़ी मेहनत से सफलता का एक मुकाम हासिल किया है और आज भी अपने साथ कम से कम 400 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराकर उनका जीवन यापन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: आज से 40 साल पहले 1982 में कामकाज की तलाश में उत्तर प्रदेश के एटा जिले के कासगंज के रहने वाले पप्पू भाई जब दिल्ली आए तो उन्हें जींस की एक दुकान में कारीगर का काम मिला. करीब चार-पांच साल तक तन्मयता से काम सीखने के बाद पप्पू भाई ने एक दिन अपने मालिक से अपनी मशीन लगाने के बारे में बातचीत की. पप्पू भाई के पास उस समय ना तो अपनी जगह थी, ना ही इतनी बचत कि वह अपनी मशीन खरीद कर किराए पर जगह लेकर जींस का काम शुरू कर पाते.
उनके कामकाज की जगह पर ही एक दूसरे व्यक्ति की ऐसी कोशिश से प्रेरित होकर पप्पू भाई ने भी दांव लगाने की सोची. इसके बाद उनके मालिक ने लक्ष्मी नगर में अपना एक छत पप्पू भाई को कामकाज के लिए दे दिया. अपनी ही दुकान से 5-6 मशीन उठाकर उन्होंने दे दी और कहा कि तुम अपना काम शुरू करो. करीब 1 साल तक काम करने के बाद जब पप्पू भाई ने हिसाब किताब लगाया तो पता चला कि उन्हें जिस जींस को तैयार करने के लिए ₹21 प्रति पीस का भाव मिलता था, उसके लिए मार्केट रेट ₹30 था.
उन्होंने अपने मालिक पर भरोसा कर अपना काम का शुरू किया था, लेकिन 1 साल के बाद वह 1990 के आसपास ₹15000 के नुकसान में आ गए थे. इसके बाद पप्पू भाई का दिमाग भन्ना गया. उन्हें लगा कि ऐसा काम कर क्या फायदा जिसमें घर से नुकसान हो.
इसके बाद उन्होंने कंपनी के मालिक से कहा कि वे उनका काम नहीं करना चाहते और अपनी अलग यूनिट लगाना चाहते हैं. पिछले 40 सालों में कामकाज के कई उतार-चढ़ाव भरे दौर से गुजरते हुए पप्पू भाई अब गाजियाबाद की ट्रोनिका सिटी में जींस की अपनी दो फैक्ट्री चलाते हैं, जहां वे हर महीने एक फैक्ट्री के अपने वर्कर को 12 लाख रुपए का वेतन झुकाते हैं. पप्पू भाई की जींस फैक्ट्री का सालाना कारोबार 25 करोड़ रुपए को पार कर चुका है.
पप्पू भाई की कहानी लगातार मेहनत कर सफलता की गाथा लिखने वाली अनोखी कहानी है. दिल्ली एनसीआर में छोटा-मोटा काम कर अपना परिवार पालने वाले लाखों लोगों ने कड़ी मेहनत से सफलता का एक मुकाम हासिल किया है और आज भी अपने साथ कम से कम 400 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराकर उनका जीवन यापन कर रहे हैं.
टोनिका सिटी में मेंस जींस और इस तरह के गारमेंट बनाने वाले पप्पू भाई अपनी स्थिति से काफी खुश हैं. पप्पू भाई का कहना है कि अगर आप ईमानदारी से मेहनत करते रहें और आपकी किस्मत आपका साथ दे तो सफलता आपके कदम जरूर झूमती है.
दिलचस्प तथ्य यह है कि कोरोना के मुश्किल दौर में भी पप्पू भाई ने अपने स्टाफ को नहीं निकाला. उनके पास आज भी 12-15 ऐसे लोग कामकाज कर रहे हैं जिन्होंने 30 साल पहले उनके साथ किसी और फैक्ट्री मालिक के लिए कारीगरी की थी.