Narcissistic Child Symptoms: बच्चों की परवरिश करने में मां-बाप को बहुत एहतियात बरतनी पड़ती है। इनकी छोटी-सी गलती भी बच्चे के पूरे भविष्य और जिंदगी को खराब कर सकती है। अक्सर कुछ बच्चों में नारसिस्टिक बिहेवियर देखा जाता है जो कि उनमें जन्म से नहीं बल्कि आसपास के माहौल की वजह से आता है।
Parenting Tips in Hindi: कोई भी बच्चा गुस्सैल पैदा नहीं होता है बल्कि वो अपने आसपास के माहौल और परवरिश की वजह से ऐसा बन जाता है। बच्चे भी बड़ों की तरह गुस्सैल और अहंकारी व्यवहार को अपना लेते हैं, जिससे बड़े होने पर इनमें श्रेष्ठ बनने और सहानुभूति की कमी देखी जाती है और माता-पिता की इसमें बड़ी भूमिका होती है।
बच्चों को दूसरों के लिए मददगार और दयालु बनाने से पहले आपको यह समझ लेना चाहिए कि आत्म विश्वास और नारसिज्म यानि अहंकारी और गुस्सैल बच्चे में क्या फर्क होता है और बच्चों में किस तरह इसके संकेतों को पहचान सकते हैं।
कैसे होते हैं नारसिज्म बच्चे
एक narcissistic बच्चे की हरकतों में अन्य बच्चों को नीचे रखना, बदमाशी करना, अच्दे दोस्त ना बना पाना, घमंडी रहना, असहिष्णु, हमेशा अपनी गलतियों और दोषों के लिए दूसरों को दोष देने की आदत रखना शामिल है। न्यूरोसाइंटिस्ट और विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बच्चों को पालने में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहां हम आपको कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बता रहे हैं जो माता-पिता द्वारा किए जाने पर बच्चे को नारसिस्टिक बना सकती हैं।
अपने नेगेटिव बिहेवियर को पहचानें
माता-पिता के रूप में आपको अपने बच्चे के नकारात्मक व्यवहार को सुधारने का अधिकार है लेकिन एक वयस्क के रूप में, आपको अपनी गलतियों को भी स्वीकार करना चाहिए। बच्चे आपको देखकर सीखते हैं, जिसका मतलब है कि यदि आप खुद नेगेटिव बिहेव करते हैं, तो बच्चे भी आपके नक्शेकदम पर चलने की संभावना रखते हैं। आपको पहले खुद में बदलाव करना चाहिए और अपने बच्चे को भावनात्मक रूप से बुद्धिमान बनने में मदद करनी चाहिए यानी दूसरों को कैसा महसूस होता है, इसकी उसे अधिक समझ रखनी चाहिए।
बच्चे की भावनाओं को इग्नोर करना
आप अपने बच्चे के प्रति कैसे हैं, यह भी प्रभावित करता है कि वे एक व्यक्ति के रूप में कैसे बनते हैं। यदि आप लगातार उनकी भावनाओं और फीलिंग्स को इग्नोर या अस्वीकार करते हैं, यदि आप उन्हें लगातार बताते हैं कि वे जो महसूस कर रहे हैं वह गलत है या वे कैसे व्यवहार कर रहे हैं, तो उनके व्यवहार को नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है।
इसलिए, भले ही आप अपने बच्चे की राय या निर्णयों से सहमत न हों, उन्हें रोकने की कोशिश न करें। बल्कि बात करें और उन्हें बताएं कि आप समझते हैं कि वे क्यों परेशान हैं। उनकी मदद करें। इस तरह वे सहानुभूति को भी समझेंगे।
बच्चे की सुनें
पब्लिक प्लेसेस में गुस्सा करना या नखरे दिखाना, अपनी गलती को स्वीकार न करना, दूसरों पर दोष मढ़ना, एक संकीर्णतावादी यानि नार्सिस्टिक बच्चे के कुछ लक्षण हैं। माता-पिता के रूप में, यदि आपका बच्चा अनुचित तरीके से व्यवहार करता है, तो कोशिश न करें बल्कि उससे बचें। “क्या हो रहा है?”, “आप कैसा महसूस कर रहे हैं?”, “क्या ऐसा कुछ है जो मैं आपको बेहतर महसूस कराने के लिए कर सकता हूं?” जैसे कुछ प्रश्न पूछकर इसका समाधान करें। ये ऐसे सवाल हैं जिनसे बच्चे को लगता है कि आप उसे सुनेंगे।