पिता के निधन के बाद भी नेशनल गेम्स में लिया हिस्सा, पीएम मोदी भी हुए मुरीद; जानें कौन हैं 10 साल के शौर्यजीत?

शौर्यजीत के मुरीद हुए पीएम नरेंद्र मोदी. (Gujarat Information Twitter)

शौर्यजीत के मुरीद हुए पीएम नरेंद्र मोदी.

नई दिल्ली. 10 साल की उम्र में किसी भी बच्चे के लिए पिता को खोने का गम झेलना आसान नहीं होता है. लेकिन, गुजरात के 10 साल के शौर्यजीत ने न सिर्फ इस दर्द को झेला, बल्कि अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए गुजरात में चल रहे 36वें नेशनल गेम्स में भी उतरे और अपने नाम के अनुसार ही मलखंब के खेल में शौर्य गाथा लिखी. 10 साल के शौर्यजीत ने अपने प्रदर्शन से सबको मुरीद बना लिया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शौर्यजीत का वीडियो शेयर किया और उन्हें स्टार बताया है.

शौर्यजीत बीते शुक्रवार को जब नेशनल गेम्स में मलखंब में अपना कौशल दिखा रहे थे. उसी वक्त उनके भीतर उथल-पुथल मची हुई थी. कम ही लोगों को इसका पता था. फिर भी 10 साल के इस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान थी और आंखों में पिता का सपना पूरा करने की चमक. बीते 30 सितंबर को शौर्यजीत के पिता का निधन हो गया था. उस वक्त शौर्यजीत नेशनल गेम्स की तैयारी कर रहे थे. शौर्यजीत के पास दो ही विकल्प थे. या तो वो इन खेलों में हिस्सा लेने से पीछे हट जाते या पिता का सपना पूरा करने के लिए नेशनल गेम्स में उतरते. शौर्यजीत ने पहले विकल्प को चुन भी लिया था. लेकिन, मां और कोच ने हौसला बढ़ाया. इसके बाद शौर्यजीत ने इन खेलों में हिस्सा लेने का फैसला लिया और अपने कौशल से सबका दिल जीत लिया.

पहले राउंड में ही शौर्यजीत ने शानदार प्रदर्शन किया. इसके बाद पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. पिता को खोने का दर्द सीने में दबाए शौर्यजीत के लिए यह हौसला अफजाई उत्साह बढ़ाने वाली साबित हुई. उन्होंने कहा, ‘जिस तरह लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया, वो देखकर काफी गर्व महसूस हुआ. यह मेरे पिता का सपना था कि मैं नेशनल गेम्स में हिस्सा लूं और स्वर्ण पदक जीतूं. मैं इसे जरूर पूरा करूंगा.’

ट्रेनिंग से छुट्टी लेकर पिता का अंतिम संस्कार किया
शौर्यजीत के मलखंब इवेंट में गोल्ड मेडल का फैसला दो और राउंड के बाद होगा. ऐसे में शनिवार को छुट्टी के दिन वह अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए वड़ोदरा लौटा और कुछ घंटों बाद ही वापस अहमदाबाद लौट आया. क्योंकि रविवार को अलग राउंड शुरू होना था.

पिता ने मुझे मलखंब से जोड़ा था: शौर्यजीत
शौर्यजीत ने कहा, ‘मेरे पिता (रंजीत कुमार) ने मुझे मलखंभ से जोड़ा. मैं पिछले 6 साल से ट्रेनिंग कर रहा हूं. मुझे शुरू में यह बहुत मुश्किल लगा लेकिन धीरे-धीरे मैं इस खेल से प्यार करने लगा.’ उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक जीते हैं.

मां के समझाने के बाद शौर्यजीत तैयार हुआ: कोच
कोच जीत सपकाल ने कहा, ‘शौर्यजीत को नेशनल गेम्स में हिस्सा लेने के लिए मनाना बहुत मुश्किल था. उसकी मां ने उसे समझाया कि वह अपने पिता की इच्छा को पूरी करने का मौका चूक जाएगा. यह शौर्यजीत की मानसिक मजबूती ही है कि वो न सिर्फ इन खेलों में हिस्सा लेने आया, बल्कि अच्छा प्रदर्शन भी किया.’

कोच ने आगे बताया कि शुरुआत में शौर्यजीत को सिखाना आसान नहीं था. क्योंकि वो काफी छोटा था और मलखंब का पोल बड़ा था. लेकिन, उसके टैलेंट और रूचि को देखते हुए हमने शुरुआत की. कोरोना के दौर में जब लॉकडाउन लगा था. तब उसके पिता घर में ही मलखंब का पोल ले आए थे और मैं घर में उसे ट्रेनिंग देता था. इसी ट्रेनिंग और कड़ी मेहनत का नतीजा है कि आज शौर्यजीत बड़े-बड़े खिलाड़ियों को कड़ी टक्कर देता है. मलखंब को पहली बार नेशनल गेम्स में शामिल किया गया है