मुंबई. शिवसेना के चुनाव निशान धनुष-बाण पर चुनाव आयोग के फैसले के बाद शरद पवार ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें पहले ही संकेत लग रहे थे कि इस तरह से ही फैसला होगा. इसके लिए मुझे कोई अफसोस नहीं है. इस तरह के निर्णय कौन लेता है. यह तो हमें पता नहीं है, लेकिन इस तरह के निर्णय गुजरात से लिए जाते हैं, इस तरह की जानकारी मुझे समझ में आई. पवार ने कहा कि चुनाव का निशान रहे या ना रहे, आने वाले चुनाव को लेकर तैयारी करनी चाहिए. पवार ने कहा कि ‘मैं नाम का सुझाव नहीं दे सकता लेकिन शिवसेना बालासाहेब ठाकरे हो सकता है. जब कांग्रेस में दो हिस्से हुए थे, उस समय कांग्रेस इंदिरा और कांग्रेस राष्ट्रवादी का निर्णय हुआ था.’ साथ ही शरद पवार ने कहा कि शिवसेना कभी खत्म नहीं होगी, बल्कि आने वाले समय में जोर से बढ़ेगी और अपनी शक्ति भी बढ़ाएगी.
शिवसेना के चुनाव निशान पर निर्वाचन आयोग के फैसले को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक बयानबाजी अब जोर पकड़ती जा रही है. इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का गुट अपने चुनाव निशान को कायम रखने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी जाने के बारे में सलाह-मशविरा करने में जुट गया है. निर्वाचन आयोग ने फिलहाल शिवसेना के दोनों गुटों पर पार्टी का नाम और चुनाव निशान ‘तीर-कमान’ का उपयोग करन पर पाबंदी लगा दी है. एनसीपी के प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिह्न को भले ही स्थगित कर दिया हो, लेकिन महाराष्ट्र की जनता उद्धव ठाकरे के साथ है. यह सब किसके इशारे पर किया जा रहा है, यह भी महाराष्ट्र की जनता को पता है. एनसीपी पूरी तरह से उद्धव ठाकरे के साथ है. अंधेरी विधानसभा उपचुनाव में महा विकास अघाड़ी (MVA) का प्रत्याशी जीतकर आएगा.
चुनाव आयोग के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की किशोरी पेडनेकर ने कहा कि ‘इसके बारे में मुझे कुछ नही कहना है. जिस बाला साब का नाम लेकर शिंदे गुट काम कर रहे हैं, धनुष बाण बाला साहब के कवच-कुंडल थे. उसको निकालने का काम कर रहे हैं.’ उधर शिवसेना के चुनाव निशान के बारे में निर्वाचन आयोग के फैसले के बारे में बीजेपी के प्रवक्ता राम कदम ने कहा कि बारामती मे पटाखे फूटे, दीवाली मनाई जा रही है. अगर स्वर्गीय बाला साहेब की बात को याद रखते और हिंदुत्व नहीं छोड़ते, कांग्रेस और एनसीपी के साथ नही जाते तो इतिहास के पन्नों में ये दिन नहीं आता.
जबकि चुनाव आयोग के फैसले के बाद अब उद्धव ठाकरे का खेमा चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है. इसके लिए कानूनी टीम के साथ विचार-विमर्श हो रहा है. इस फैसले को चुनौती देने की गुंजाइश पर विचार किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि हालांकि अब न्यायिक हस्तक्षेप की गुंजाइश कम है, लेकिन इस आदेश को चुनौती तो दी ही जा सकती है.