आर्मेनिया और अजरबैजान में हुआ शांति समझौता, हिंसक झड़प में मारे गए थे 150 से अधिक सैनिक

आर्मेनिया और अजरबैजान की सीमा पर हुई हिंसक झड़प में दोनों देशों के करीब 150 सैनिकों की मौत हो गई. (AP)

आर्मेनिया और अजरबैजान की सीमा पर हुई हिंसक झड़प में दोनों देशों के करीब 150 सैनिकों की मौत हो गई.

त्बिलिसी. ऑर्मेनिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार देर रात कहा कि नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र में पूर्व सोवियत राज्यों के बीच दशकों पुराने विवाद से जुड़ी दो दिनों की हिंसा के बाद अजरबैजान के साथ एक शांति समझौता हुआ है. हालांकि इस समझौते पर अभी तक अजरबैजान ने कोई बयान साझा नहीं किया है जिसके हिंसक झड़प में कम से कम 50 जवान मारे गए हैं. रॉयटर्स के मुताबिक क्षेत्र में प्रमुख राजनयिक बल कहे जाने वाले रूस ने दोनों देशों के बीच हुए भीषण टकराव के बाद समझता कराया है, जिससे फिलहाल लड़ाई समाप्त हो गई. रूस ने शांति बनाये रखने के लिए दोनों देशों की सीमाओं पर अपने 2000 शांति सैनिकों की तैनाती भी की है. रूसी मीडिया इसे दूसरा कराबाख युद्ध करार दे रही है, जिसमें 150 से अधिक जवानों की मृत्यु हो गई.

रूसी समाचार एजेंसियों के मुताबिक ऑर्मेनियाई सुरक्षा परिषद के सचिव आर्मेन ग्रिगोरियन ने समझौते पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया है. ग्रिगोरियन के कहा कि संघर्ष विराम कई घंटों तक प्रभावी रहा है और सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी भी बंद हो गई है. हालांकि समझौते के बाद ताजा झड़प के लिए दोनों पक्ष एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. हिंसक झड़प में सबसे अधिक नुकसान ऑर्मेनियाई सेना को हुआ जिसके 105 सैनिक गोलीबारी में मारे गए. ऑर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान ने बताया कि इस सप्ताह हिंसा शुरू होने के बाद से 105 ऑर्मेनियाई सैनिक मारे गए हैं. वहीं अज़रबैजान ने लड़ाई के पहले दिन 50 सैन्य मौतों की सूचना दी है.

अपनी पीठ थपथपा रहा है रूस
दोनों देशों के बीच समझौता कराने को लेकर रूस अपनी पीठ थपथपा रहा है. रूस की संसद के ऊपरी सदन के एक वरिष्ठ सदस्य ग्रिगोरी कारसिन ने बताया कि रूसी राजनयिक प्रयासों के कारण संघर्ष विराम संभव हो सका है. उन्होंने आगे कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों से बात की थी. साथ ही शांति समझौते को लेकर भी जरूरी कदम उठाए थे. आपको बता दें कि ऑर्मेनिया और अजरबैजान दशकों से नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र के लिए लड़ रहे हैं, जो अजरबैजान की सीमा में आता है, लेकिन वहां ऑर्मेनिया के निवासी बहुसंख्यक हैं.