सरकार ने शादी विवाह मे भाग लेने वालों की अधिकतम सीमा 50 तय कर रखी है। पिछले कल बद्दी पुलिस ने शादियों का औचक निरीक्षण किया और तीन शादियों मे 300 से अधिक की भीड़ पाई गई। काबिले तारीफ है कि वहां के पुलिस कप्तान रोहित मालपानी ने सिविल ड्रेस मे सूरज माजरा गांव मे एक शादी का स्वयं निरिक्षण किया जहां लगभग 325 लोगों की भीड़ थी। एस पी साहब के स्टेटमेंट के अनुसार जो कि प्रतिष्ठित अग्रेंजी दैनिक मे छपा है किसी ने भी मास्क नहीं पहन रखा था। हम यदि स्वयं ही अपनी जान के दुश्मन बने तो सरकार या किसी और का क्या दोष है। इसी प्रकार के हालात शेष दो शादियों जो कि मानपुरा और करूना गांव मे सम्पन्न हुई है उन मे भी थे। वैसे भी कुछ लोग मास्क नहीं पहनते है, कुछ सिर्फ गले मे लटकाते है और कुछ मुंह पर लगाते है और नाक को खुला छोड़ देते है। उनका मास्क लगाने का उद्देश्य अपने को बचाने से ज्यादा पुलिस चालान से बचने का होता है। कुछ लोग जरूर जिम्मेदारी के साथ मास्क भी पहन रहे है और सामाजिक दूरी का भी ख्याल रख रहे है।
जो लोग गले मे मास्क पहन कर रखते है उन्हे देख मुझे आज कई वर्षों पहले मेरे एक दोस्त ने बहुत दिलचस्प कहानी सुनाई थी वह याद आ जाती है कि एक मुर्ख दुकानदार ने चीनी की बोरी पर नमक लिख दिया था। जब उससे पूछा गया कि श्रीमान जी आपने चीनी पर नमक क्यों लिख दिया है। उसने अपनी चालाकी का व्याख्यान करते हुए कहा यह कीड़ों को चकमा देने का सबसे कारगर तरीका है। शायद यह लोग भी गले मे मास्क लगा कर इसी प्रकार कोरोना वायरस को चकमा देने की कोशिश कर रहे है। खैर बद्दी मे हुई पुलिस कार्रवाई की वहां की प्रधान एसोसिएशन ने आलोचना की है जो कि बिल्कुल गैर जरूरी और गलत है। सरकार ने अधिकारियों को चौकस रहने और कार्यवाई करने के आदेश दिये है। पंचायत प्रधान भी सरकार की नीतियों और आदेशों के कार्यान्वित करने के लिए जिम्मेदार है। पुलिस ने यह सब करके अपने कर्तव्य का निर्वाहन किया है। मेरे विचार मे बद्दी पुलिस की कार्यवाही जनहित मे है और पुलिस साधुवाद की पात्र है।
– मोहिंद्र नाथ सोफत (सोलन)