बीमारी के इलाज में जहर गटकने को मजबूर लोग, इन दवाओं को खरीदते समय रहें ज्यादा सतर्क

हरिद्वार के रुड़की क्षेत्र में गुरुवार को फिर नकली दवाओं का बड़ा जखीरा पकड़ा गया है। एसटीएफ ने वहां पांच गोदामों में छापे मारे थे। वहां से एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया, जबकि एक अन्य भाग निकला। एसटीएफ ने गोदामों से लाखों रुपये का कच्चा माल बरामद किया है। ये दवाएं नामी कंपनियों के लेबल लगाकर बनाई जा रही थीं। 

बड़ी मात्रा में पकड़ी गई नकली दवाएं (प्रतीकात्मक तस्वीर)

उत्तराखंड में आखिर किसकी शह पर नकली दवाओं का धंधा फलफूल रहा है, यह यक्ष प्रश्न है। बार-बार कार्रवाई के बाद भी धंधे पर लगाम नहीं लग पा रही है। मजबूरन लोग बीमारी के इलाज में जहर गटकने को मजबूर हैं। एक माह में दूसरी बार है, जब हरिद्वार में ही बड़ी मात्रा में नकली दवाएं पकड़ी गई हैं।

दरअसल, उत्तराखंड में यह एक दो कार्रवाई नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई बार नकली दवाएं पकड़ी गई हैं। वर्ष 2018 में हरिद्वार में ही कई इलाकों में पुलिस और अन्य विभागों ने नकली दवाओं का भंडाफोड़ किया था। उस वक्त भी करोड़ों रुपये का कच्चा माल बरामद हुआ था। साथ ही साल के शुरूआत में ऊधमसिंह नगर में बड़ी कार्रवाई की गई थी।

एसटीएफ ने तब भी करोड़ों की नकली दवाएं बनाने के मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था। बार-बार ऐसी कार्रवाई के बावजूद स्थानीय प्रशासन की इस पर कोई नजर नहीं है। किस गोदाम और दुकान में क्या संदिग्ध काम हो रहा, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। यहां लोगों की बीमारी ठीक करने का नहीं, बल्कि धीमा जहर तैयार किया जा रहा है।

जानकारों की मानें, तो बीते एक दशक में उत्तराखंड में दवा निर्माताओं ने अपनी फैक्टरियां खोली हैं। यहां पर बड़ी मात्रा में नामी कंपनियां कई दवाएं बना रही हैं। यहां काम सीखने के बाद कुछ लोग दवाएं बनाने की बारीकियों को समझ जाते हैं। इसके बाद असली साल्ट को न लेकर कुछ नकली मिलाकर हुबहू दवाएं बनाई जाती हैं। एसटीएफ भी कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है।

अगले साल से आसान हो जाएगी पहचान  

नकली दवाओं पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने भी कुछ फैसले लिए हैं। एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स) क्यूआर कोड लगाना जरूरी कर दिया गया है। स्कैन करने के बाद चंद सेकेंड में ही दवा की हकीकत सामने आ जाएगी। यह नियम एक जनवरी से लागू किया जाएगा। हालांकि, कुछ कंपनियों ने अपनी दवाओं के स्ट्रीप पर टोल फ्री नंबर आदि लिखने भी शुरू कर दिए हैं। 

सावधान! दवाएं खरीदें, मगर ध्यान से 

एसटीएफ की कार्रवाई में नामी कंपनी की कुछ प्रसिद्ध दवाओं से मिलती जुलती दवाएं पकड़ी हैं। ज्यादातर दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे पर भी लोग मेडिकल स्टोर से खरीद लेते हैं। इनमें सर्दी, जुकाम, खासी, दस्त लगने, बुखार आदि की दवाएं शामिल हैं। लिहाजा, अब सावधान होने की जरूरत है। 

इन बातों का रखें ध्यान 

दवा हमेशा डॉक्टर के पर्चे से ही खरीदें, खरीदने के बाद मेडिकल स्टोर से बिल जरूर लें, अपने मन से डॉक्टर बनने की आदत छोड़ दें, ऑनलाइन दवा भी सिर्फ डॉक्टर के पर्चे को स्कैन कर ही खरीदें, दवा मिलने के बाद एक बार डॉक्टर को जरूर दिखा लें, एक्सपायरी डेट पास में हो तो उसे खरीदने से बचें, दवा को लेकर कोई संशय हो तो औषधि निरीक्षक को जानकारी दें।