एलजीबीटी समुदाय के लोगों के हितों के लिए दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली सरकार को नोटिस भेजा है.
नई दिल्ली. राजधानी में रह रहे ट्रांसजेंडर (Transgender) या एलजीबीटीक्यूआई (LGBTQI) समुदाय के लोगों की परेशानियों को लेकर दिल्ली महिला आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है. दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर दिल्ली में LGBTQI प्लस समुदाय के हितों के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है. आयोग अपने ट्रांसजेंडर सेल के माध्यम से LGBTQI प्लस व्यक्तियों के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहता है और उनके सामने आने वाली समस्याओं को हल करने में उनकी हर सम्भव सहायता करता है. हालांकि आयोग ने बताया कि LGBT समुदाय के व्यक्तियों को देश में और यहां तक कि राजधानी में भी कई गम्भीर मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है.
दिल्ली सरकार (Delhi Government) के समाज कल्याण विभाग को एक नोटिस जारी कर आयोग ने दिल्ली में LGBTQI प्लस समुदाय के हित एवं अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण मांगा है. साथ ही विभाग को यह सूचित करने के लिए कहा गया है कि क्या दिल्ली में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 को अधिसूचित किया गया है. अगर ऐसा नहीं किया गया है, तो विभाग को नियम को लागू करने में देरी के कारणों को बताने के लिए कहा गया है. इसके अलावा, विभाग को ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड (Transgender welfare board) की स्थापना के बारे में जानकारी देने को कहा है और अगर स्थापित नहीं हुआ है, तो उसके कारण बताने को कहा है. दुख की बात है कि दिल्ली में ट्रांसजेंडरों के लिए एक भी शेल्टर होम नहीं है. विभाग को इस मुद्दे पर किसी भी लंबित प्रस्तावों की जानकारी देने के लिए कहा गया है.
आयोग ने समाज कल्याण विभाग को अपने नोटिस में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के प्रचार प्रसार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण भी मांगा है. इसके अलावा आयोग ने दिल्ली में ट्रांसजेंडर प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में जांच शुरू की है. आयोग ने दिल्ली के सभी जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने हेतु जमा किए गए आवेदन पत्रों के विवरण के साथ-साथ लिंग परिवर्तन प्रमाण पत्र हेतु प्राप्त किए गए आवेदनों के बारे में जानकारी मांगी है. विभाग को प्राप्त आवेदनों की संख्या के साथ साथ जारी किए गए, खारिज किए गए और लंबित प्रमाण पत्रों की संख्या के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए कहा गया है. उपरोक्त कानून में सभी आधिकारिक दस्तावेजों में ट्रांसजेंडरों के नाम में बदलाव की सुविधा प्रदान करने का प्रावधान भी है.
आयोग ने सभी जिलों से ऐसे आवेदनों की संख्या के बारे में भी सूचना मांगी है जिसमें खारिज किए गए आवेदन के सन्दर्भं में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के समक्ष अपील की गई हों. इसके अलावा, आयोग ने जिलाधिकारियों से SOP का पालन करने, प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए उठाए गए कदमों और प्रमाण पत्र के आवेदन के लिए डीएम कार्यालय आने वाले ट्रांसजेंडरों की सहायता करने के बारे में पूछा है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा है, ‘LGBTQI+ समुदाय को देश में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें राजधानी में भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उनके अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए. मैंने समाज कल्याण विभाग, दिल्ली सरकार और सभी जिलाधिकारों को नोटिस जारी कर सरकार द्वारा समुदाय के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है. यह बेहद दुखद है कि राजधानी में ट्रांसजेंडरों के लिए एक भी शेल्टर होम नहीं है. हम राजधानी में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए इन मुद्दों पर काम करेंगे.’