लोगों ने लडक़ी होने का ताना दिया, उसने देश की पहली महिला फार्मूला रेसर बन सबका मुंह बंद कर दिया

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गुजरात के वडोदरा की मीरा इरडा (Meera Erda) उन लोगों के लिए उदाहरण हैं, जो आज भी लड़का-लड़की में अंतर करते हैं. लोग मीरा को लडक़ी होने का ताना देते थे, लेकिन उसने देश की पहली महिला फार्मूला रेसर बन साबित कर दिया कि लड़कियां, लड़कों से कम नहीं हैं. 21 वर्षीय मीरा ने अपने सफर की शुरुआत 9 वर्ष की उम्र में की थी. उनके इस सफर में उनके परिवार ने पूरा सपोर्ट किया.

देश की पहली महिला फार्मूला रेसर

Meera Erda Formula Racer Aajtak

रिश्तेदारों ने सुनाए ताने

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मीरा बचपन में अक्सर अपने पिता के साथ रेसिंग ट्रैक पर अकसर जाया करती थीं. इस दौरान वे अपने भाइयों को गाड़ियां दौड़ाते हुए देखतीं तो उन्हें भी हवाओं से बातें करने का मन करता था. इस सपने को सच करने के लिए पिता ने मीरा का सपोर्ट किया. इस तरह बहुत छोटी उम्र में मीरा रेसिंग ट्रैक पर गाड़ियों को दौड़ाने लगी थीं.

बहुत कम महिलाएं पहले मोटर स्पोर्ट्स को चुनती थीं. लेकिन मीरा ने इसे पेशेवर तौर पर चुना. इसके लिए उन्हें खूब ताने मारे गए. उनकी काबलियत पर सवाल उठाए गए. रिश्तेदारों ने परिवार से यहां तक कहा कि कैसे एक लड़की मोटर स्पोर्ट्स को अपना करियर चुन सकती है. वो कैसे हवाओं से बात करते हुए मोटरकार को दौड़ाएगी.

Meera Erda Formula Racer Meera Erda

महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत

लेकिन, मीरा उन सभी की बातों को नजरंदाज करती रहीं. अपनी मंजिल को पाने के लिए लगातार मेहनत किया. लोगों के तानों से उनके करियर के रेस पर ब्रेक नहीं लगा. आज वो अपने सफर के दौरान कई नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं को जीतकर खुद को साबित कर दिया है कि महिलाओं के लिए कुछ भी नमुमकिन नहीं है. आज वो करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं.