लोग बॉर्डर फिल्म देख रहे थे, आग लगी और सब तबाह हो गया… क्या थी उपहार सिनेमा अग्निकांड की कहानी?

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भारत की राजधानी दिल्ली पर साल 1997 में एक बड़ी तबाही का दाग उस वक़्त लग गया जब उपहार सिनेमा के अंदर आग लग गई. 13 जून के उस मनहूस दिन फिल्म ‘बॉर्डर’ की स्क्रीनिंग चल रही थी. लोग दोपहर 3 बजे के शो का आनंद ले रहे थे.

सिनेमा हॉल के अंदर आग लगने से 59 लोगों की दम घुटने से मौत हो गई. हादसे के दौरान मची भगदड़ में 103 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. मरने वालों में 23 बच्चे शामिल थे.

Trial By FireNetflix

अब ‘ट्रायल बाय फायर’ नाम की एक वेब सीरीज़ उसी दर्दनाक कहानी पर फिल्माई गई है. इसका ट्रेलर 5 जनवरी को रिलीज किया गया. उपहार कांड कते नाम से जाने गए इस काले दिन की हकीकत लोग इस फिल्म के ज़रिये देख सकेंगे. फिल्म में अभय देओल और राजश्री देशपांडे एक ऐसे कपल के किरदार में नजर आएंगे, जिन्होंने इस त्रासदी में अपने दोनों बच्चों को खो दिया. यह कहानी शेखर कृष्णमूर्ति और उनकी पत्नी नीलम की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है.

ट्रेलर को शेयर करते हुए एक्टर अभय ने लिखा, “ट्रेलर यहां है! 13 जून, 1997 ने सैकड़ों परिवारों के जीवन को बदल दिया. #TrialByFire में माता-पिता, नीलम और शेखर कृष्णमूर्ति की कहानी है, जिन्होंने अन्य परिवारों के साथ न्याय के लिए लड़ाई लड़ी है. उनकी कहानी देखें. Trial By Fire 13 जनवरी को केवल @netflix_in पर रिलीज़ हो रही है.

उपहार सिनेमा अग्निकांड: क्या हुआ था उस दिन?

नीलम और शेखर दोनों ने न केवल अपने बच्चों को हादसे में खो दिया बल्कि उन्हें न्याय पाने के लिए लंबी लड़ाई भी लड़नी पड़ी.  जिन लोगों को पता नहीं है, उन्हें अपने बच्चों की मौत के इंसाफ के लिए 24 साल के परीक्षण और कष्टों का सामना करना पड़ा. उपहार सिनेमा के मालिक रियल एस्टेट एजेंट सुशील और गोपाल अंसल थे. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार 8 नवंबर 2021 को अंसल बंधुओं को सात साल की जेल की सजा सुनाई गई.

स्क्रीन पर बॉर्डर चल रही थी तभी…

13 जून  1997 की शाम करीब 4 बजकर 55 मिनट पर सिनेमा घर के बेसमेंट में रखे जनरेटर में आग लग गई, जो तेजी से पूरे हॉल में फैल गई. सुरक्षा इंतजाम में भारी कमी थी. सबसे अधिक मौतें बालकनी में हुई थीं जहां एसी के जरिए जहरीला धुआं सिनेमा हॉल में घुस गया था, क्योंकि ज्यादा सीटों की वजह से कुछ एग्जिट गेट ब्लॉक कर दिए गए थे. वहीं बालकनी के दर्शक लॉबी में इसलिए भी नहीं जा पाए थे, क्योंकि मुख्य एग्जिट गेट को फिल्म शुरू होते के बाद ही ब्लॉक कर दिया गया था.

Uphaar Cinema FireTimes Now

बता दें कि उस दौरान ऑफ ड्यूटी कैप्टन मनजिंदर सिंह भिंडर ने अपने परिवार को बचाकर बाहर आने के बाद भी अपनी जान की परवाह किए बिना अंदर फंसे हुए लोगों को निकालने की कोशिश की थी. उनकी भी मौत हो गई थी. अग्निशामक दल अधिक ट्रैफिक के कारण समय से नहीं पहुंच पाया. आग लगने के बाद लाइट सप्लाई भी बंद हो गई अंधेरे के कारण लोग बाहर का रास्ता भी नहीं ढूंढ पा रहे थे.

सिनेमा घर में सुरक्षा को लेकर कई कमियां पाई गईं. आग लगने पर कोई अनाउंसमेंट भी नहीं हुआ था. थिएटर के अंदर खाली जगह पर दुकानें लगा दी गई थीं. बाहर निकलने की जगहें ब्लॉक थीं और डीएवी ट्रांसफॉर्मर की मेंटेनेंस भी नहीं हुई थी, जिसकी वजह से आग लगी थी.

Uphaar Cinema FireMint

इस मामले में कब क्या हुआ?

1997 

दक्षिण दिल्ली के उपहार सिनेमा हॉल में हिंदी फिल्म ‘बॉर्डर’ की स्क्रीनिंग के दौरान आग लगने के बाद दम घुटने से 59 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद हुई भगदड़ में 100 से अधिक लोग घायल हो गए.

उपहार थिएटर के मालिक सुशील अंसल और उनके बेटे प्रणव को मुंबई में गिरफ्तार किया गया.

जांच दिल्ली पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई.  सीबीआई ने सिनेमाघर के मालिक सुशील और गोपाल अंसल समेत 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.

2001

अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 304 ए (लापरवाही से मौत का कारण) और 337 (चोट पहुंचाना) सहित विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए.

2003  

थिएटर पर फिर से शुरू करने की अंसल की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि साक्ष्य के लिए घटना स्थल को संरक्षित किया जाना है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पीड़ितों के परिजनों को 18 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया.

2004  

कोर्ट ने आरोपियों के बयान दर्ज करना शुरू किया.

2005  

बचाव पक्ष के गवाहों के बयानों की रिकॉर्डिंग शुरू हुई.

एडिशनल सत्र न्यायाधीश ममता सहगल ने थियेटर का निरीक्षण किया.

2007   

अभियुक्त अंतिम बहस को आगे बढ़ाना शुरू करते हैं.

उपहार त्रासदी पीड़ितों के संगठन (एवीयूटी) ने दिल्ली उच्च न्यायालय से समय सीमा के भीतर सुनवाई पूरी करने की मांग की.

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे सीबीआई के लिए पेश हुए और अंतिम दलीलें पेश कीं. फैसला सुरक्षित रखा गया. कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 5 सितंबर की तारीख तय की है.

कोर्ट ने फैसले की तारीख आगे बढ़ाकर 20 नवंबर तय कर दी.

कोर्ट ने इस मामले में सुशील और गोपाल अंसल समेत सभी 12 आरोपियों को दोषी करार देते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई.  2008

दिल्ली हाई कोर्ट ने अंसल बंधुओं और दो अन्य आरोपियों को जमानत दे दी है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत रद्द किए जाने के बाद अंसल को तिहाड़ जेल भेज दिया गया है.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंसल बंधुओं को दोषी ठहराने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन उनकी सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया.

2009  

सुप्रीम कोर्ट ने सजा बढ़ाने और आरोपों में बदलाव के लिए पीड़ितों के परिवारों के मंच एवीयूटी द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया. सीबीआई ने भी सजा बढ़ाए जाने के लिए अपील दायर की

2014 

न्यायाधीश सजा पर भिन्न होते हैं. मामला तीन जजों की बेंच को रेफर किया गया

2015   

सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं को 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने के बाद रिहा करने की अनुमति दी

2017 

सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल को शेष एक साल की जेल की सजा काटने के लिए कहा, जबकि उसके बड़े भाई सुशील को उम्र से संबंधित जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए जेल की सजा से राहत दी गई थी.

2021 

दिल्ली की एक अदालत ने रियल एस्टेट कारोबारी सुशील और गोपाल अंसल को सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में सात साल कैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने अंसल बंधुओं पर 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया.

ट्रेलर देखने के बाद सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रियाएं आई हैं

 (पीटीआई इनपुट्स के साथ)

ट्रायल बाय फायर 13 जनवरी को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी.