Interesting Facts About Russia: हम जिस देश की बात कर रहे हैं उसका नाम रूस है। कभी रूस का स्वर्ग कहा जाना वाला अलास्का अब अमेरिका का हिस्सा है। 30 मार्च 1867 को अमेरिका ने सोवियत यूनियन से अलास्का खरीद लिया था। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमेरिका ने अलास्का मात्र 72 लाख डॉलर यानी 45 करोड़ 81 लाख रुपये में खरीदा था।
नई दिल्ली: जमीन की कीमत लगातार बढ़ रही है। लोग जमीन के लिए तरसते हैं। दुनिया के कई देशों में जमीन को लेकर जंग भी हो चुकी है। अभी भी होती रहती है। लेकिन क्या आपको ऐसे देश (Russia) के बारे में पता है जिसके पास इतनी जमीन है कि उसे संभालना मुश्किल हो रहा है। इसी वजह से इस देश (Russia) ने अमेरिका को कौड़ियों के भाव अपनी काफी जमीन (Alaska) बेच दी थी। ये देश इतना बड़ा है कि अगर इसके एक छोर से दूसरे छोर की आप यात्रा करें तो आपको अपनी घड़ी का समय 11 बार बदलना पड़ेगा। वजह है आपको 11 टाइम जोन से गुजरना पड़ेगा। चलिए आपको बताते हैं ये कौन सा देश है और इसके पास कितनी जमीन है।
सिर्फ 46 करोड़ में यूएस को बेच दी थी ये खूबसूरत जमीन
हम जिस देश की बात कर रहे हैं उसका नाम रूस है। कभी रूस का स्वर्ग कहा जाना वाला अलास्का (Alaska) अब अमेरिका (America) का हिस्सा है। 30 मार्च 1867 को अमेरिका ने सोवियत यूनियन से अलास्का खरीद लिया था। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमेरिका ने अलास्का मात्र 72 लाख डॉलर यानी 45 करोड़ 81 लाख रुपये में खरीदा था। अलास्का बेचने का विचार सोवियत यूनियन के तत्कालीन फॉरेन मिनिस्टर अलेक्जेंडर मिखाइलोविच गोर्काकोव के दिमाग में आया था। बताया जाता है कि अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट एंर्डयू जॉनसन ने ही गोर्काकोव को इसके लिए राजी किया था। इसके बाद गोर्काकोव ने रूस के जार अलेक्जेंडर-II के सामने यह प्रस्ताव रखा और उन्हें अलास्का बेचने के लिए राजी कर लिया था।
पूरी धरती की 10 फीसदी जमीन है इस देश के पास
रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है। ये देश इतना बड़ा है कि पूरी धरती की 10 प्रतिशत जमीन सिर्फ इस देश के पास है। ये देश इतना बड़ा है कि अगर आप इसके एक छोर से दूसरे छोर तक जाएंगे तो आपको 11 बार अपनी घड़ी का समय बदलना पड़ जाएगा। इस सफर को करने के लिए आपको दुनिया की सबसे लंबे रूट की ट्रेन का सफर भी करना होगा, जिसका नाम है ट्रांस साइबेरियन ट्रेन रोड। ये ट्रेन नौ हजार किलोमीटर का सफर तय करती है और 8 टाइम जोन से गुजरती है।
आज होता है पछतावा
रूस को अलास्का को बेचने का अभी भी पछतावा होता है। इसकी वजह है अलास्का में मौजूद भरपूर तेल के भंडार, गोल्ड व डायमंड माइंस। इसके चलते इसे अमेरिका का ‘खजाना’ कहा जाता है। हालांकि रूस की जनता इसके खिलाफ थी। बावजूद इसके जार अलेक्जेंडर ने 30 मार्च 1867 को अलास्का बेचने के डॉक्यूमेंट्स पर साइन कर दिए थे।
खजाने से कम नहीं है अलास्का
आपको बता दें कि करीब 1,717,856 किमी में फैला अलास्का अमेरिका के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। यहां भारी मात्रा में नैचुरल गैस और पेट्रोलियम पदार्थ हैं। यहां कई ऑयल फैक्ट्रीज हैं। सिर्फ अलास्का से ही अमेरिका को देश की खपत का 20 फीसदी पेट्रोल मिलता है। 1950 के दशक में अमेरिका ने अलास्का में गोल्ड और हीरे की खदान भी खोज ली थीं। यहां से भारी मात्रा में गोल्ड भी निकाला जाता है। इसके अलावा फिशिंग और टूरिज्म भी आय का बड़ा जरिया है। हर साल यहां लाखों की संख्या में टूरिस्ट पहुंचते हैं।