PFI Ban Reason: केंद्र ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA), 1967 के सेक्शन 35 के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया है। इसका मतलब है कि अब इस संगठन की सदस्यता रखने पर दो साल की सजा हो सकती है जो कुछ मामलों में आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक बढ़ाई जा सकती है।
भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का प्लान था…
एनबीटी के पास मौजूद एजेंसी के एक नोट से पता चलता है कि महाराष्ट्र के पीएफआई उपाध्यक्ष के कब्जे से सैकड़ों आपत्तिजनक दस्तावेजों के साथ-साथ ‘मिशन 2047’ से जुड़ा ब्रॉशर और सीडी भी बरामद हई है। इसमें भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने से जुड़ा कंटेंट है। यूपी के एक पीएफआई नेता से पेन ड्राइव मिला है, जिसमें आईएसआईएस, गजवा-ए-हिंद के विडियो पाए गए हैं।
PFI: सबसे ताकतवर कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों में से एक
एक अन्य नोट में बताया गया है कि पीएफआई और इसके सहयोगी फ्रंट देश के 17 से राज्यों में अपनी पकड़ बना चुके हैं। पीएफआई और उसकी विंग के कार्यकर्ताओं के खिलाफ 1300 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। नोट में कहा गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया देश में सबसे शक्तिशाली कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन में से एक था। इसके मेंबर हिंसा, अपराध, गैरकानूनी गतिविधियों और आतंकवाद के कई मामलों में शामिल थे। पीएफआई ने अपने कैडर को उन कामों के लिए ब्रेन वॉश किया जो देश में धार्मिक सौहार्द्र के लिए बड़ा खतरा था।
पीएफआई पर आरोप है कि ईशनिंदा के लिए टीजे जोसफ (प्रफेसर) का बेरहमी से हाथ काट दिया था। जांच के दौरान पीएफआई कैडर के आरोपियों से कुछ देश विरोधी और आईएसआईएस प्रशिक्षण विडियो भी बरामद किए गए थे। केरल में जून 2021 में पदम वन जंगल एरिया (जिला कोल्लम) से विस्फोटक और जिहादी साहित्य बरामद किया गया था। इसका उपयोग पीएफआई की ओर से सैन्य ट्रैनिंग कैंप के लिए किया जा रहा था। तेलंगाना में फिजिकल ट्रेनिंग सेंटर की आड़ में गुपचुप तरीके से चल रहे एक देश विरोधी ट्रेनिंग कैंप का खुलासा हुआ था। इसे पीएफआई का ट्रेनर अब्दुल खादर चला रहा था, जिसने निजामाबाद में अपने मार्शल आर्ट ट्रेनिंग सेंटर में 200 से अधिक पीएफआई कैडरों को प्रशिक्षित किया था।
कैसे बना था पीएफआई?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) नवंबर 2006 में दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों के विलय से बना। शुरुआत में इसका हेडक्वॉर्टर केरल के कोझिकोड में था मगर बाद में इसने दिल्ली को अपना बेस बनाया। संगठन खुद को समाज के मुहाने पर रह रहे तबकों के सशक्तिकरण के काम में जुटा बताता रहा है। हालांकि 2012 में केरल सरकार ने हाई कोर्ट में खुद कहा कि यह बैन संगठन सिमी का ही नया रूप है।
किस-किस पर बैन लगा?
गृह मंत्रालय से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों – रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नैशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नैशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को भी बैन किया गया है। यूएपीए के सेक्शन 35 के तहत केंद्र सरकार को अधिकार है कि अगर उसे लगे तो वह किसी संगठन को बैन संगठन की लिस्ट में डाल सकता है। इस लिस्ट से नाम हटाने का अधिकार भी केवल केंद्र सरकार को है।
क्या आरोप है?
पीएफआई पर आरोप है कि सामने तो वह और उससे जुड़े संगठन खुद को सामाजिक, शैक्षिक, राजनीतिक बताते हैं मगर इसकी आड़ में सीक्रेट अजेंडा चलाकर समाज के खास वर्ग को कट्टरपंथी बनाते हैं। उनकी भारतीय संविधान में आस्था नहीं है। वह सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल खराब करने और उग्रवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहा है। आरोप है कि तमाम संगठन बनाकर पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच पहुंच बढ़ाने, फंड जुटाने की कोशिश की। इनके आईएस से लेकर तमाम आतंकी संगठनों से लिंक सामने आने की बात भी कही गई है।
अब क्या होगा पीएफआई का?
देश भर में कहीं भी केंद्रीय एजेंसियां या राज्य पुलिस, अब पीएफआई के मेंबर्स को गिरफ्तार कर सकेंगी। उनके खाते फ्रीज किए जा सकेंगे और उनकी संपत्तियां भी जब्त हो सकेंगी। कार्रवाई की आशंका को देखते हुए पीएफआई ने अपना संगठन भंग करने का ऐलान किया है।
क्या पूरी तरह वजूद मिट जाएगा?
पीएफआई का एक राजनीतिक संगठन भी 2009 में वजूद में आया। इसका नाम सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) है। इसका कर्नाटक के तटीय दक्षिण कन्नड़ और उडुपी इलाके में अच्छा प्रभाव है। यहां पर पार्टी गांव से लेकर कस्बे और सिटी काउंसिल में भी चुनाव जीत चुकी है। मैसुरु लोकसभा क्षेत्र की सीट नरसिम्हराजा में एसडीपीआई साल 2013 में दूसरे नंबर पर रही। वहीं 2018 में कांग्रेस, बीजेपी के बाद तीसरे नंबर पर रही। इसे 20% से ज्यादा वोट मिले। पार्टी ने 2014, 2019 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा मगर 3% से ज्यादा वोट न मिल पाए।