वेटनरी फार्मासिस्ट का पदनाम बदलने पर फार्मासिस्ट संघ नाराज
कुल्लू : हिमाचल प्रदेश में बीते दिन हुई कैबिनेट की बैठक में पशुपालन विभाग में कार्यरत फार्मासिस्ट के पद नाम बदल दिए गए हैं। वहीं, फार्मासिस्ट के पदनाम बदलने पर हिमाचल प्रदेश के 4000 कर्मियों में सरकार के प्रति रोष है। वहीं फार्मासिस्ट संघ ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि अब इस मुद्दे को अगली सरकार के समक्ष रखा जाएगा और मांग की जाएगी कि इस पदनाम को बदला जाए। कुल्लू में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए जिला कुल्लू पशुपालन विभाग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीव भारद्वाज ने बताया कि सरकार के द्वारा Veterinary Pharmacist को Junior Veterinary Inspector, पशुपालन सहायक (AHA) को Veterinary Inspector और Chief Veterinary Pharmacist को Chief Veterinary Inspector का नाम दिया गया है। इसमें Junior शब्द को लेकर पशुपालन विभाग के कर्मचारियों में पुरे प्रदेश में भारी रोष व्याप्त हो गया है। पशुपालन संघ जिला कुल्लू के प्रधान संजीव भारद्वाज व समस्त जिला कार्यकारिणी ने अपना विरोध प्रकट करते हुए इस अधिसूचना की कड़ी निंदा की है। संजीव का कहना है कि हिमाचल सरकार पंजाब की तर्ज पर चलती है तो पंजाब पैटर्न के आधार पर ही Veterinary Inspector, Senior Veterinary Inspector तथा Chief Veterinary Inspector के पद नाम दिए जाने चाहिए। इसमें सरकार पर किसी भी प्रकार का आर्थिक बोझ नहीं पड़ रहा है। जिस तरह दूसरे विभागों में कर्मचारियों को नए पदनाम देने की अधिसूचना जारी हुई है। जिसमें Allopathic Pharmacist को Pharmacy Officer, Chief Pharmacist को Cheif Pharmacy Officer और आयुर्वेदा विभाग में आयुर्वेदिक Pharmacist को आयुर्वेदिक Pharmacy Officer का पद नाम दिया गया है।
पशुपालन कर्मचारी संघ जिला कुल्लू के अध्यक्ष संजीव भारद्वाज ने कहा कि अगली सरकार के गठन होने के उपरान्त इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि ये कर्मचारियों के सम्मान से जुड़ा मुद्दा है। 20 से 25 वर्षों के सेवाकाल के उपरान्त नए पदनाम में जूनियर शब्द से समस्त वेटरनरी फार्मासिस्टों को कड़ी आपत्ति है। वही, उनका कहना है कि कुछ तथाकथित स्वयंभू चापलूस नेताओं की वजह से आज पशुपालन संघ की बात को सही तरीके से सरकार के समक्ष नहीं रखा जा रहा है। जिन्होंने पशुपालन कर्मचारी संघ पर अवैध कब्जा कर रखा है। संवैधानिक प्रक्रिया से चुने हुए पदाधिकारियों को जबरदस्ती सत्ता का सहारा लेकर बाहर करके स्वयं को नेता घोषित करने वाले कथित नेताओं के कारण ये गलत अधिसूचना जारी हुई है। संवैधानिक प्रक्रिया से चुने हुए पदाधिकारी इस मुद्दे को बेहतर ढंग से सरकार के समक्ष रखने में सक्षम थे। भविष्य में जब भी अगली सरकार आएगी इस मुद्दे को हल करवाने हेतु पूर्ण प्रयास किये जाएगे ।