वैज्ञानिकों को पहली बार इंसान के जीवित फेफड़े में माइक्रोप्लास्टिक कण (Microplastic Particles) मिले हैं. पहले वैज्ञानिकों का अनुमान था कि हमारे फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक नहीं पहुंच सकता लेकिन अब शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ हल और हल यॉर्क मेडिकल स्कूल (University of Hull and Hull York Medical School) के शोधार्थियों ने ये चौंकाने वाला खुलासा किया है. Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, हमारे फेफड़ों के सबसे गहरे हिस्से में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिले हैं.
जीवित लोगों के फेफड़े में मिले माइक्रोप्लास्टिक कण
वैज्ञानिकों का अनुमान था कि एयरवेज़ की बनावट की वजह से माइक्रोप्लास्टिक फेफड़े में नहीं पहुंच सकते, ये अनुमान ग़लत साबित हो चुका है. ह्यूमन कैडेवर ऑटोप्सी सैम्पल में माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए थे. पहली बार जीवित लोगों के फेफड़ों पर शोध किया गया.
खून में भी मिल चुका है प्लास्टिक
Daily Mail के लेख के अनुसार, कुछ दिनों पहले इंसानों के खून में भी माइक्रोप्लास्टिक कण मिले थे. इससे वैज्ञानिकों ने अंदाज़ा लगाया था कि प्लास्टिक धीरे-धीरे हमारे पूरे शरीर में फैल रहा है.
शोधार्थियों की ये स्टडी साइंस ऑफ़ द टोटल एनवायरंमेंट में छपी है. 13 लंग टिश्यूज़ पर सोध किया गया और 11 सैम्पल्स में 39 माइक्रोप्लास्टिक्स मिले. शोध में फेफड़े के ऊपरी हिस्से में 11, बीच के हिस्से में 7 और नीचले हिस्से में 21 माइक्रोप्लास्टिक कण मिले. रिसर्च रिपोर्ट की प्रमुख राइटर लॉरा सैदोफ़्सकी ने कहा, ‘पहली बार जीवित लोगों के फेफड़े में माइक्रोप्लास्टिक कण मिला है. स्टडी में ये भी पता चला है कि ये फेफड़े के नीचले हिस्से में मौजूद हैं.’
कैसल हिल अस्पताल के सर्जन्स ने लंग टिश्यूज़ उपलब्ध करवाए. ये मरीज़ों की सर्जरी के दौरान कलेक्ट किए गए थे. जब इन टिश्यूज़ को लैब में टेस्ट किया गया तब पता चला कि सांस नली के ज़रिए माइक्रोप्लास्टिक इंसानों के फेफड़े के सबसे जटिल हिस्से तक पहुंच चुके हैं. जो माइक्रोप्लास्टिक कण सैम्पल्स में से मिले वो पैकेजिंग, बोतल, कपड़े, रस्सी आदि चीज़ों के हिस्से थे. औरतों के मुकाबले पुरुषों में माइक्रोप्लास्टिक कणों की मात्रा अधिक थी.
क्या है माइक्रोप्लास्टिक?
हमारे आस-पास कई फ़ॉर्म में प्लास्टिक मौजूद है. मोबाईल फ़ोन से लेकर, फल-सब्ज़ी लाने वाली पन्नी तक. प्लास्टिक के कई आकार और प्रकार होते हैं. जो प्लास्टिक का आकार 5 मिलिमीटर से कम होता है उसे माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है. माइक्रोप्लास्टिक हर तरह के जीव-जन्तुओंं के लिए खतरनाक है. पिछले साल एक स्टडी में पता चला था कि कपड़े, खिलौने आदि के ज़रिए 7000 माइक्रोप्लास्टिक कण रोज़ाना हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं.