धरती से लेकर समंदर तक प्लास्टिक का कब्ज़ा हो चुका है. हम इंसानों की वजह से ही आज गांव-देहात से लेकर शहर, और यहां तक कि जंगल तक प्लास्टिक पहुंच चुका है. हम गाय-घोड़े, गधे जैसे जानवरों को प्लास्टिक खाते देख चुके हैं. कुछ दिनों पहले प्लास्टिक खाते हाथी का एक वीडियो सामने आया था.
हम में से ज़्यादातर लोग इस बात से वाकिफ़ हैं कि प्लास्टिक जल्दी नष्ट नहीं होता है. इसके बावजूद प्लास्टिक के इस्तेमाल में कटौती, या कमी नहीं हुई है. इंसान के खून से लेकर फेफड़े तक प्लास्टिक के कण पहुंच चुके हैं. यानि हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसमें भी प्लास्टिक के कण मौजूद हैं.
Breast Milk में मिला Microplastic
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हाल ही में शोधार्थियों ने प्लास्टिक को लेकर एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है. कुछ रिसर्चर्स को ह्यूमन ब्रेस्ट मिल्क में प्लास्टिक मिला है. एक नवजात बच्चे के लिए मां का दूध अमृत है, और इसी वजह से रिसर्चर्स ने चिंता जताई है. Polymers नामक रिसर्च जर्नल में ये ब्रेस्ट मिल्क रिसर्च छपी. रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, पैकेजिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले पॉलीथीन, पीवीसी और पॉलीप्रोपाइलीन के माइक्रोप्लास्टिक कण ब्रेस्ट मिल्क में पाए गए.
34 ब्रेस्ट मिल्क के सैम्पल पर आधारित रिसर्च
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खाने-पीने की कई चीज़ों, जैसे-नमक, सीफ़ूड, बोतलबंद पानी के बाद अब ब्रेस्ट मिल्क में भी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है. रोम, इटली में जन्म देने वाली 34 हेल्दी मॉम्स के ब्रेस्ट मिल्क का सैम्पल लिया गया.
The Guardian की एक रिपोर्ट के अनुसार, 26 सैम्प्ल यानि 75% से ज़्यादा सैम्पल्स में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिले. शोधार्थियों ने मदर्स के खान-पान की चीज़ों, पर्सनल हाइजीनिक प्रोडक्ट्स का डेटा भी लिया.
हम इंसानों की वजह से समंदर की गहराइयों तक माइक्रोप्लास्टिक के कण पहुंच चुके हैं, और सीफ़ूड के ज़रिए ये हमारे शरीर में पहुंचते हैं. गौरतलब है कि खाने-पीने की चीज़ों, पैकेजिंग और पर्सनल हाइजीनिक प्रोडक्ट्स का, और ब्रेस्ट मिल्क में मिले माइक्रोप्लास्टिक का कोई को रिलेशन नहीं मिला. इसका मतलब ये है कि अभी पर्यावरण में, हम जिस हवा में सांस लेते हैं, उस हवा में प्लास्टिक बहुत ज़्यादा मात्रा में मौजूद है.
ह्यूमन प्लेसेंटा में भी मिला था माइक्रोप्लास्टिक
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इटली की जिस रिसर्च टीम ने ब्रेस्ट मिल्क में माइक्रोप्लास्टिक मिलने की पुष्टि की. 2020 में इसी टीम को ह्यूमन प्लेसेंटा, या गर्भनाल (Human Placenta) में प्लास्टिक के कण मिले थे. ह्यूमन प्लेसेंटा, या गर्भनाल एक ऐसी नाल है जिसके ज़रिए अजन्म शिशु को ऑक्सीजन, और पोषक तत्व मिलते हैं.
इटली के Università Politecnica delle Marche की प्रोफ़ेसर डॉ. वैलिंटीना के मुताबिक ब्रेस्ट मिल्क में माइक्रोप्लास्टिक मिलना चिंता का विषय है. ब्रेस्टफ़ीडींग के बहुत फ़ायदे हैं, और माइक्रोप्लास्टिक मिलने के बावजूद ये शिशुओं के लिए सबसे ज़्यादा हितकारी है. डॉ. वैलिंटीना ने कहा कि उनकी स्टडी का लक्ष्य जनता, और खासतौर पर सरकार को जागरूक करना था. उनकी स्टडी के बाद ब्रेस्टफ़ीडींग करने वाली मदर्स को ब्रेस्टफ़ीडींग करना बंद नहीं करना चाहिए. बच्चों के लिए मां का दूध बेहद जरूरी है और लाभदायक है.