प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के माणा गांव में पर्वमाला परियोजना की घोषणा की.
चमोली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने उत्तराखंड दौरे पर पहले केदारनाथ धाम फिर बद्रीनाथ धाम में दर्शन-पूजन किया और 3400 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जिनमें केदारनाथ और बद्रीनाथ में रोपवे प्रोजेक्ट व चमोली जिले में स्थिति भारत के आखिरी गांव माणा में रोड प्रोजेक्ट शामिल हैं. माणा में स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदीने एक बड़ी घोषणा की. उन्होंने कहा कि देश में जैसे भारतमाला और सागरमाला प्रोजेक्ट चल रहे हैं, वैसे ही पर्वतमाला प्रोजेक्ट का शुभारंभ भी होने जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा, ‘कुछ साल पहले हमने देश में कनेक्टिविटी की दो बड़ी परियोजनाएं शुरू की थी, एक भारतमाला, दूसरी सागरमाला. भारतमाला के तहत देश के सीमावर्ती क्षेत्रों को बेहतरीन और चौड़े हाईवे से जोड़ा जा रहा है. सागरमाला के तहत देश के सागर तटों की कनेक्टिविटी को सशक्त किया जा रहा है. बीते 8 वर्षों में जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक बॉर्डर कनेक्टिविटी का अभूतपूर्व विस्तार हमने किया है.’
पीएम ने आगे कहा, ‘2014 के बाद से बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने करीब-करीब 7000 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण किया है, सैकड़ों नए पुल बनाए हैं. बहुत सी महत्वपूर्ण टनल्स का निर्माण किया है. एक समय था जब बॉर्डर किनारे सड़क बनाने के लिए भी दिल्ली से मंजूरी लेनी पड़ती थी. हमने न सिर्फ इस बाध्यता को समाप्त किया, बल्कि बॉर्डर किनारे अच्छी सड़कें, तेजी से सड़कें बनाने पर जोर दिया. अब पहाड़ी राज्यों की कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाने के लिए हमने विशेष तौर पर जैसे सागरमाला है, भारतमाला है, वैसे ही अब पर्वतमाला का काम आगे बढ़ने वाला है. इसके तहत उत्तराखंड और हिमाचल में रोपवे का एक बहुत बड़ा नेटवर्क बनना शुरू हो चुका है. हमारे यहां जब बॉर्डर का नाम सुनते हैं तो यही मन में आता है, वहां सिर्फ फौजी साथी होंगे, बाकी सब वीरान होगा. लेकिन इस धारणा को हमें बदलना है और धरातल पर इसके लिए काम करना है. हमारे बॉर्डर के गांवों में चहल-पहल बढ़नी चाहिए. वहां विकास जीवन का उत्सव बनना चाहिए. ये हम प्रयास कर रहे हैं. मैं कहता हूं कि जो अपने गांव छोड़कर गए हैं, उन्हें वापस लौटने का मन कर जाए, ऐसे जिंदा गांव खड़े करने हैं.’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले जिन इलाकों को देश की सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से समृद्धि का आरंभ मानकर काम शुरू किया. पहले देश का आखिरी गांव जानकर जिसकी उपेक्षा की जाती थी, हमने वहां के लोगों की अपेक्षाओं पर फोकस किया। पहले देश के विकास में जिनके योगदान को महत्व नहीं दिया गया, हमने उन्हीं को साथ लेकर प्रगति के महान लक्ष्यों की ओर बढ़ने का संकल्प लिया. हिमालय की हरी भरी पहाड़ियों पर रेल गाड़ी की आवाज उत्तराखंड के विकास की नई गाथा लिखेगी. देहरादून एयरपोर्ट भी अब नए अवतार में सेवा दे रहा है. आधुनिक कनेक्टिविटी राष्ट्ररक्षा की भी गारंटी होती है. इसलिए बीते 8 सालों से हम इस दिशा में एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं. भारतमाला के तहत देश के सीमावर्ती क्षेत्रों को बेहतरीन और चौड़े हाइवे से जोड़ा जा रहा है. सागरमाला से अपने सागर तटों की कनेक्टिविटी को सशक्त किया जा रहा है. अब पर्वतमाला से पहाड़ी क्षेत्रों और दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने पर फोकस किया जाएगा.