रिकॉन्गपिओ (किन्नौर). पीएम नरेंद्र मोदी की बात सच साबित हुई है. हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के निचार में ड्रोन से सेब उठाने क़ा सफल ट्रायल किया गया है. पांच घंटे का सफर महज पांच मिनट में पूरा किया गया है.
दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सूबे में एक जनसभा मे किन्नौर के आलू ड्रोन से मंडी तक पहुंचाने की बात कही थी. लोगों और राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया पर इसे असम्भव कहकर मजाकिया ढ़ंग से पेश किया, लेकिन अब यह बात सच साबित हुई है किन्नौर के निचार गांव में ड्रोन के माध्यम से सेब ढोने का ट्रायल किया गया.
किन्नौर जिला सेब बहुल क्षेत्र है, जहां करीब 35 से 36 लाख सेब की पेटी हर वर्ष कठिन मार्गों पर ट्रक के जरिये सेब मंडियों तक सफर करता है. इस दौरान सेब की फ़सल को मंडी तक पहुंचने में कई दिन लग जाते हैं. सेब के दूर-दराज बगीचों से सेब को सड़कों तक पहुंचाने में लोगों को परेशानियों क़ा सामना करना पड़ता है. कहीं सड़क नहीं है तो कहीं सड़कों की हालत खस्ता है और इससे समय पर सेब मंडी नहीं पहुंच पाता है. ट्रायल के बाद अब किन्नौर के सेब, आलू और अन्य नकदी फसलों को मंडी तक पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो सकता है.
किन्नौर जिला में विग्रो कम्पनी ने निचार गांव के पंचायत प्रतिनिधियों और बागवानों के साथ करीब तीन दिन तक यहां के दुर्घम क्षेत्र कंडे से लेकर गांव तक सेब की पेटियों को ड्रोन के माध्यम से करीब 10 से 12 किलोमीटर तक ट्रायल किया. निचार के सेब बागवान, मनोज माथस, गोविंद नेगी, रमेश नेगी और पंचायत उपप्रधान जगदेव नेगी ने बताया कि ड्रोन से सेब की 12 से 18 किलो के पेटियों को 10 से 12 किलोमीटर दूर पहुंचाया गया है. इससे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किन्नौर के आलू को ड्रोन से मंडी तक पहुंचाने वाली बात सच साबित हुई है.
छह मिनट में किया 12 किमी का सफर तय
ड्रोन कंपनी विग्रो के प्रबंधक दिनेश नेगी ने कहा कि छोत कंडा से निचार मिनी स्टेडियम तक ड्रोन से छः मिनट में सेब की पेटी पहुंची है, जबकि कंडे से स्टेडियम तक एक सेब की पेटी को पहुंचाने में 4 से 5 घंटे का समय लगता है. ड्रोन से चंद मिनटों में यह काम हुआ है. अब जल्द ही बड़े ड्रोन, जिसकी क्षमता 4 पेटी उठाने की है, उसका भी किन्नौर और हिमाचल के अन्य क्षेत्रों में ट्रायल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ड्रोन से सेब ढोने की प्रक्रिया 11 नवंबर से शुरू हुई थी, जिसका ट्रायल 14 नवंबर को पूरी तरह सफल हुआ है. अहम बात यह है कि हिमाचल में ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों में ड्रोन से सामान पहुंचाना अब आसान हो सकता है. बर्फबारी में लोगों तक आपात मदद, भोजन, दवाएं भेजना आसान हो सकता है.