हिमाचल प्रदेश में पुलिस भर्ती का प्रश्नपत्र लीक होने का मामला सुर्खियों में है। पुलिस महकमे को तो फजीहत का सामना करना पड़ ही रहा है। साथ ही राष्ट्रीय पटल पर सरकार की भी किरकिरी हो रही है।
जांच कर रही एसआईटी के हाथ असल गुनहगारों के गिरेबान तक नहीं पहुंच पाए हैं। इसी बीच एक बड़ा सवाल भी उठ खड़ा हुआ हैै। इसके मुताबिक जब प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं को आयोजित करने के लिए एक्सपर्ट एजेंसी के तौर पर हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग मौजूद है तो पुलिस विभाग परीक्षा आयोजित करने को लेकर खुद क्यों उलझ गया।
27 मार्च 2022 को पुलिस विभाग के टॉप से बॉटम तक अधिकारी व कर्मचारी केवल और केवल परीक्षा आयोजित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते नजर आए। ऐसे में अगर आपराधिक घटनाएं हो जाती तो कानून के रखवालों को मुसीबत का सामना करना पड़ता।
गौरतलब है कि इससे पहले भी पंचायत सचिवों की भर्ती प्रक्रिया भी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को सौंपी गई थी। ये प्रक्रिया भी रामभरोसे चल रही है। पेपर लीक होने के बाद पुलिस की छवि पर दाग लगा है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने परीक्षा रद्द करने के दौरान कहा था कि इस महीने के अंत तक परीक्षा का पुनः आयोजन कर लिया जाएगा। लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद भी अगली तिथि निर्धारित नहीं हुई है। ऐसा भी माना जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय में शीर्ष अधिकारियों की अदला-बदली के बाद ही नई तिथि तय होगी।
ऐसा भी माना जा रहा है कि सरकार इस स्थिति में भी नहीं है कि दोबारा परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी कर्मचारी चयन आयोग को दे दी जाए, क्योंकि डाटा से जुड़ी दिक्कत आ सकती है। अलबत्ता ये जरूर हो सकता है कि पुलिस विभाग द्वारा एडमिट कार्ड जारी किए जाएं। बाकी जिम्मेदारी आयोग द्वारा निभाई जाए।
अभ्यर्थियों द्वारा ये मांग की जा रही है कि परीक्षा की अगली तिथि जल्द निर्धारित हो।
गौरतलब है कि सरकार ने आर्म्ड पुलिस व ट्रेनिंग के आईजी जेपी सिंह का तबादला भी कर दिया है। इस कार्रवाई से ये साफ है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है।