झांसी के पुष्पेंद्र यादव की वर्ष 2019 में कथित एनकाउंटर में मौत हो गई थी। इस मामले में परिजनों की याचिका पर कोर्ट ने पुलिसवालों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने रुपये के लेनदेने विवाद में उसकी हत्या की थी।
झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी में वर्ष 2019 में कथित पुलिस एनकाउंटर में पुष्पेंद्र यादव की मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं। पुलिस ने तब दावा किया था कि 5 अक्टूबर 2019 की रात को मोठ थाने के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र चौहान पर फायरिंग कर कार लूटकर भाग रहे पुष्पेंद्र को एनकाउंटर में मार गिराया गया था। दूसरी ओर परिवार के लोगों ने आरोप लगाया था कि पुष्पेंद्र बालू खनन और उसके ट्रांसपोर्ट का काम करता था। पुलिस से रुपये के लेनदेन से जुड़ा एक वीडियो पुष्पेंद्र के पास था। विवाद बढ़ने पर तत्कालीन इंस्पेक्टर और अन्य पुलिसकर्मियों ने उसकी हत्या कर घटना को एनकाउंटर का रूप दे दिया था।
पुष्पेंद्र यादव के कथित एनकाउंटर के बाद इस पूरे मसले ने सियासी रूप ले लिया था। झांसी से लेकर लखनऊ तक इस घटना के विरोध में विपक्षी दलों ने आवाज उठाई थी। सपा मुखिया अखिलेश यादव तब झांसी पहुंचे थे और पुष्पेंद्र के गांव करगुआ पहुंचकर परिवार के लोगों से मुलाकात की थी। उन्होंने झांसी में प्रेस कांफ्रेंस कर पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने की मांग उठाते हुए कोर्ट में भी इस लड़ाई में परिवार की मदद का ऐलान किया था। इस घटना पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपना विरोध दर्ज कराया था। अन्य विपक्षी दलों ने भी एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए हत्या का केस दर्ज करने की मांग की थी। प्रदेश सरकार ने मुठभेड़ को सही मानते हुए पुलिसकर्मियों पर किसी भी तरह की कार्रवाई से इनकार कर दिया था।
परिवार के लोगों के यह थे आरोप
पुष्पेंद्र यादव के कथित एनकाउंटर के बाद उसके खिलाफ जो केस पुलिस ने दर्ज किया था, उसमें उसके बड़े भाई रविन्द्र को भी नामजद किया गया था।सीआईएसएफ दिल्ली में कार्यरत रविन्द्र ने पुलिस की कहानी को फर्जी बताते हुए दावा किया था कि पुलिस एनकाउंटर की कहानी में जो समय बता रही थी, उस समय वह दिल्ली में ड्यूटी पर था। पुलिस ने एफआईआर में यह कहानी बताई कि मोठ थानाक्षेत्र में तत्कालीन इंस्पेक्टर धर्मेंद्र चौहान पर हमला कर पुष्पेंद्र यादव कार लूटकर भाग रहा था। बाद में सर्च ऑपरेशन में गुरसराय थानाक्षेत्र में वह एनकाउंटर में मारा गया।
एसएसपी पर भी लगा था इंस्पेक्टर को बचाने का आरोप
इसमें पुष्पेंद्र के साथ उसके सीआईएसएफ में कार्यरत भाई और अन्य को नामजद किया गया था। परिवार के लोगों ने झांसी के तत्कालीन एसएसपी ओपी सिंह पर इंस्पेक्टर धर्मेंद्र चौहान को बचाने का आरोप लगाया था। पुष्पेंद्र की पत्नी शिवांगी ने दावा किया था कि रुपये के लेनदेन का इंस्पेक्टर का कोई वीडियो पुष्पेंद्र के पास था, जिस कारण उसकी हत्या कर दी गई थी। पुष्पेंद्र यादव के परिजनों ने केस दर्ज नहीं होने के विरोध में शव लेने से इनकार कर दिया था और पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार किया था।