हिमाचल में प्रधानमंत्री की सक्रियता के राजनीतिक मायने, 11 दिन में 4 जिले…

शिमला, 14 अक्तूबर : हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता को लेकर अलग-अलग राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 सितंबर को मंडी से चुनाव का शंखनाद करना था, लेकिन इंद्रदेव ने प्रधानमंत्री का रास्ता रोक दिया। हालांकि बाद में वर्चुअल संबोधन में प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कही थी। इस तारीख के बाद के राजनीतिक घटनाक्रम पर अगर गौर किया जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य में पूरी ताकत झोंक रहे है।

अटकलें ऐसी लगाई जा रही हैं कि भाजपा को कहीं न कहीं इस बात का आभास हुआ है कि अगर आज मतदान हो जाए तो रिवाज नहीं बदलेगा। लिहाजा असल “मतदान” तक इतनी मेहनत कर ली जाए कि आखिर में रिवाज बदले। विजयदशमी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिलासपुर व कुल्लू में आना हुआ था कि एक  दिन में 2 जिलों को नापने का लक्ष्य रखा गया था। यही नहीं, 13 अक्तूबर को प्रधानमंत्री का पहले चंबा का ही कार्यक्रम था, लेकिन दो-तीन दिन पहले इसमें ऊना को भी शामिल कर लिया गया।

    अटकलें लगाई जाने लगी कि प्रधानमंत्री के 13 अक्तूबर को हिमाचल दौरे के बाद चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। लेकिन ऊना व चंबा के दौरों से पहले प्रधानमंत्री का 12 अक्टूबर की शाम को एक और कार्यक्रम जारी हुआ, जिसके मुताबिक वह 16 अक्तूबर को कांगड़ा भी पहुंचेंगे।

   खास बात यह है कि धर्मशाला में प्रधानमंत्री ने चंद माह पहले ही राष्ट्रीय अधिवेशन की अध्यक्षता के बाद रात्रि ठहराव भी किया था। सवाल यह तलाशा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश के प्रति इतनी गंभीरता क्यों दिखा रहे हैं, जबकि पहाड़ी प्रदेश से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी जेपी नड्डा संभाल रहे हैं। केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय के अलावा देश की स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री भी हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर के हवाले हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भी हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे असर डालेंगे,संभव है कि इस कारण भी मोदी प्रदेश के चुनाव को सीरियस ले रहे है। साथ ही प्रधानमंत्री अक्सर ही “हिमाचल” को अपना दूसरा घर मानते है।

    अगर गौर किया जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मात्र 11 दिन में 4 जिलों को  नाप दिया है। यदि यह आंकड़ा 12 दिन का जोड़ लिया जाए तो जिलों की संख्या 5 होगी। मंडी अलग है। खास बात यह भी है कि प्रधानमंत्री द्वारा दक्षिण हिमाचल के जिलों किन्नौर, शिमला, सिरमौर, सोलन पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है, जबकि कांग्रेस ने दक्षिण हिमाचल के सोलन से 14 अक्टूबर को प्रियंका गांधी की रैली से शंखनाद करने का निर्णय लिया है।

24 सितंबर के बाद की बात की जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जिलों में विधानसभा क्षेत्र को निशाना साधने का प्रयास किया है। 16 अक्तूबर के बाद यह आंकड़ा 40 पार कर जाएगा। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का सिरमौर दौरा भी तय हुआ है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह को 15 अक्तूबर को सतौन  में आभार रैली में हिस्सा लेने आ रहे हैं। कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो चुनाव प्रचार में भाजपा आक्रमक रुख अपना चुकी है, जबकि कांग्रेस की रफ्तार धीमी है।