हिमाचल की आर्थिक राजधानी बद्दी में सियासी हलचल, किसके सिर सजेगा ताज…

शिमला, 23 सितंबर : हिमाचल के इकनॉमिक हब्ब (Economic Hub) बद्दी दून विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश का सबसे महंगा चुनाव हो सकता है।  यहां धन और बल के अलावा जातिगत समीकरण चुनाव पर हमेशा भारी रहते है। इस  विधानसभा का आधा हिस्सा मैदानी तो आधा पहाड़ी है। यहां कांग्रेस के पूर्व विधायक राम कुमार चौधरी व भाजपा के वर्तमान विधायक परमजीत सिंह पम्मी के बीच आमने-सामने की टक्कर होने का अनुमान है। राम कुमार चौधरी का कांग्रेस के टिकट लगभग पक्का हो चुका है, वहीं परमजीत सिंह पम्मी को भी भाजपा दोबारा से मैदान में उतार सकती है।

काबिले जिक्र है कि इस विधानसभा क्षेत्र में राम कुमार के पिता स्वर्गीय चौधरी लज्जा राम  सबसे अधिक 4 बार विधायक रहे। वह पहली दफा 1990 में जनता दल के टिकट पर विधायक बने थे। उसके बाद वह कांग्रेस में चले गए। फिर लगातार 1993, 1998 व 2003 में जीत कर विधानसभा पहुंचे। हालांकि उनका स्वर्गीय वीरभद्र सिंह से छत्तीस का आंकड़ा रहा मगर संघर्षशील होने के कारण वह कोंग्रस की राजनीति में आगे बढ़ते रहे। कई बार उनके टिकट कटाने की भी कोशिश हुई मगर जनता के प्यार के आगे उनके विरोधियों की एक न चली।

2007 में उन्हें भाजपा विनोद चंदेल से हार का मुँह देखना पड़ा। वर्ष 2012 में स्वास्थ्य कारणों के चलते उनके पुत्र राम कुमार चौधरी का कांग्रेस की टिकट पर चुनावी रण में उतरे। वह पहली दफा  जीतने में कामयाब रहे। हालांकि राम कुमार उस दौरान पंचकूला में पंजाब की एक युवती की हत्या के मामले में भी  फंसे। उन्हें हरियाणा पुलिस की कस्टडी में विधायक की शपथ लेने के लिए शिमला लाया गया। बाद में वह इस केस में बरी हो गए।

2017 के चुनावों में उन्हें कांग्रेस से भाजपा में गए एक नए कैंडिडेट परमजीत सिंह पम्मी से पराजय का सामना करना पड़ा। पम्मी का ताल्लुक  गुर्जर बिरादरी से है। गुर्जर समुदाय हमेशा से बद्दी में स्वर्गीय चौधरी लज्जा राम के साथ खड़ा रहता था। भाजपा ने मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए 2017 में गुर्जर समुदाय के युवा नेता परमजीत सिंह पम्मी को टिकट देकर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा दी जिससे कांग्रेस के राम कुमार चौधरी को हार का मुंह देखना पड़ा। राम कुमार चौधरी का ताल्लुक लबाना बिरादरी से है। जिसकी वोटों की संख्या बद्दी में ज्यादा नहीं है। वहीं इस विधानसभा में राजपूत व सैनी बिरादरी की भी अच्छी खासी तादाद है।

दोनों उम्मीदवार धन बल में भी किसी से कम नहीं है। यहां निर्दलीय उम्मीदवार रहे दर्शन लाल सैनी का भी अच्छा खासा प्रभाव है। अभी दोनों पार्टियों ने  टिकट का विधिवत ऐलान नहीं किया है। प्रवासी वोटरों की भी यहां अच्छी खासी तादाद होने के चलते आम आदमी पार्टी भी यहां संभावनाएं तलाशने में जुटी है। कुल मिलाकर चुनावी संघर्ष रोचक व घमासान होने की उम्मीद है।