जिला परिषद बिलासपुर के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के त्याग पत्र वापिस लेने से गरमाई राजनीति

जिला परिषद में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष द्वारा अपने-अपने त्याग पत्र वापिस लेने के बाद एक बार फिर से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। हालांकि, अभी तक इस मुद्दे पर कोई भी जिला पार्षद खुलकर बोलने का तैयार नहीं है।

बहरहाल भाजपा इस मुद्दे पर अपनी साख बचाने में कामयाब रही है। यदि फिर भी जिला परिषद में भाजपा समर्थित अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पदों पर पहले की तरह गतिरोध बरकरार रहा तो उसके बाद जिला परिषद के 11 बागी जिला परिषद सदस्यों को अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पदों पर कार्य करने वाले पार्षदों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करवाने के लिए नई सिरे से प्रक्रिया शुरू करनी होगी।

अब अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को इन पदों से हटाने के लिए जिला परिषद में मतदान हो सकता है। वहीं, जिला परिषद एवं उपाध्यक्ष के पद के लिए भाजपा एवं कांग्रेस ने भी गुपचुप तरीके से अपनी रणनीति तय के लिए कवायद तेज कर दी है। बिलासपुर जिला परिषद में आठ जिला पार्षद भाजपा समर्थित है व 6 पार्षद कांग्रेस समर्थित हैं। लेकिन अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे में 11 पार्षदों में दोनों दलों के पार्षद एकजुट हैं।

गौरतलब है कि बिलासपुर में जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के कार्य के प्रति असंतोष जाहिर करते हुए गत मार्च माह में 14 में 11 पार्षदों ने उपायुक्त को इनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए उपायुक्त को ज्ञापन को सौंप दिया था। लेकिन उपायुक्त द्वारा 27 मार्च को बुलाई गई जिला परिषद की विशेष बैठक से ठीक पहले अध्यक्ष मुस्कान व उपाध्यक्ष प्रेम ठाकुर ने अपने अपने पदों से त्यागपत्र उपायुक्त को सौंप दिया था। जिस कारण यह बैठक नहीं हो पाई थी। अब फिर से इस मुद्दे पर राजनीतिक उठा पटक शुरू हो गई है।

उधर, इस बार में जिला परिषद सचिव एवं जिला पंचायत अधिकारी अश्विनी शर्मा ने कहा कि जिला परिषद में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष द्धारा अपने अपने त्याग पत्र वापिस ले लिए हैं। अब इस विषय पर सरकार की गाइडलाइन एवं आदेशों पर ही कार्रवाई होगी।