राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस में सब ठीक है। ऐसा संदेश देने के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट साथ दिख रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की तरफ से राजस्थान के प्रदेश प्रभारी बनाए गए सुखजिंदर सिंह रंधावा का बयान कुछ और ही इशारा कर रहा है।
राजस्थान प्रदेश प्रभारी बनाए जाने पर राजसुखजिंदर सिंह रंधावा ने मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का आभार जताया है। रंधावा ने कहा, मेरा डीएनए कांग्रेस है, मेरा परिवार कांग्रेस है। रंधावा ने राजस्थान में जारी सियासी घमासान पर बोलते हुए कहा, कांग्रेस का नुकसान करते हैं वो कांग्रेसी नहीं हो सकते। जो कांग्रेस के वफादार हैं, वो कांग्रेस के खिलाफ कभी नहीं सोच सकते। मैं नहीं मानता, राजस्थान में हालात चिंताजनक हैं या फिर पंजाब के जैसे हैं।
राजस्थान में चल रहे राजनीतिक घमासान पर सुखविंदर ने कहा, मैं अभी नया हूं, पहली बार राजस्थान आया हूं। भारत जोड़ो यात्रा समाप्त होने के बाद मिल बैठकर सबसे बात करेंगे। मैं जिस पंजाब की धरती से आया हूं, वहां गुरुनानक ने सांझी वार्ता के संदेश दिए हैं। बता दें कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट, राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाते दिख रहे हैं। इस बीच रंधावा का वफादारी वाला ये बयान अपने आप में काफी कुछ बता देता है।
गहलोत ने पायलट को गद्दार कहा था….
बताते चलें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को गद्दार कहा था और गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद राजस्थान में सियासी पारा और चढ़ गया था। पिछले कुछ महीनों में राजस्थान की राजनीति में जिस तरह के बयान दिए गए हैं, वो पहले कभी सुनने को नहीं मिले हैं। गुजरात-हिमाचल के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने से ठीक पहले कांग्रेस ने अपनी पार्टी में एक बड़ा फेरबदल किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है और राज्यों में नए प्रभारी नियुक्त कर दिए थे।
सुखजिंदर चर्चाओं में रहे…
सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद चर्चाओं में रहे थे। ऐसे भी कयास लगाए गए थे कि वो पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, फिर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में रंधावा तीन बार विधायक और कैबिनेट में जेल और कॉपरेशन मंत्री रहे हैं। रंधावा कांग्रेस के आक्रामक माने जाने वाले नेता माने जाते हैं। साल 2015 में गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में पुलिस फायरिंग में मारे गए युवकों की मौत को लेकर रंधावा ने पंजाब के बादल परिवार के खिलाफ आवाज उठाई थी।