पटाखों की बिक्री का समय प्रशासन ने सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक तय किया है। जबकि रविवार को रात 10 बजे तक चिह्नित स्थलों पर पटाखों की बिक्री होती रही।
पटाखे खरीदते लोग
आगरा में दिवाली पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के हरित पटाखों के आदेश की बाजारों में धज्जियां उड़ रही हैं। नौ मैदानों में सजी 270 दुकानों पर महज 30 फीसद पटाखे ही हरित हैं, बाकी पटाखे अप्रमाणित श्रेणी के प्रदूषणकारी हैं। अस्थायी लाइसेंस जारी करने के बाद पुलिस, प्रशासन और अग्निशमन विभाग ने अभी तक दुकानों का सत्यापन तक ही नहीं किया है।
सेक्टर-12 में पटाखों की 12 से अधिक दुकानें हैं। यहां शिवकाशी, कॉक व अन्य ब्रांड के प्रदूषणकारी पटाखों की बिक्री हो रही है। इन पटाखों पर नीरी का लोगो नहीं है, न विस्फोटक विभाग से प्रमाणित हैं। यहां दुकानों पर बिक रहे पटाखों का सत्यापन नहीं हुआ है। यही हाल, कोठी मीना बाजार मैदान में है। दुकान पर हरित पटाखे सजाए हैं जबकि टेबिल के नीचे प्रदूषणकारी पटाखों का स्टॉक है। यहां भी कोई मजिस्ट्रेट व अधिकारी सत्यापन के लिए नहीं पहुंचा।
साईं की तकिया स्थित बेप्टिस्टि स्कूल, कंपनी गार्डन, सेक्टर-4 आवास विकास कॉलोनी मैदान, अबुल उला दरगाह मैदान के अलावा रुनकता में आतिशबाजी की दुकानों पर नियम-कायदे तार-तार हो रहे हैं। बिचपुरी, खंदौली और सेवला क्षेत्र में अवैध पटाखों की दुकानें लगी हैं, जो बिना अस्थायी लाइसेंस पर पटाखे बेच रहे हैं।
दो घंटे ही चला सकेंगे पटाखे
पटाखों की बिक्री का समय प्रशासन ने सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक तय किया है। जबकि रविवार को रात 10 बजे तक चिह्नित स्थलों पर पटाखों की बिक्री होती रही। इसी तरह प्रशासन ने पटाखों का चलाने के लिए रात 8 से 10 बजे तक का समय तय किया है। रात 10 बजे के बाद पटाखे चलाने पर कार्रवाई होगी।
पशुओं को लगता है डर
आतिशबाजी और पटाखों के शोर से कुत्ते, बिल्ली के अलावा गाय, भैंस व अन्य पशुओं पर भी बुरा असर पड़ता है। पशु डर जाते हैं। जिससे इधर-उधर भागने लगते हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विजयवीर चंद्रयाल ने बताया कि पशुओं के लिए पटाखे व विस्फोटक पदार्थों की आवाज बीमार कर सकती है।