Work From Home Porn Addiction: ब्रिटेन में वर्क फ्रॉम होम के कारण पॉर्न की लत के बढ़े हुए मामले देखने को मिल रहे हैं। पॉर्न एडिक्शन के एक क्लीनिक ने बताया कि उनके मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि लोगों ने अपने लैपटॉप के साथ कभी इतना खाली समय नहीं बिताय।
लंदन: वर्क फ्रॉम होम के कारण लोगों को कोरोना काल में आसानी हुई है। कई कंपनियां अब इसे आगे जारी रखना चाहती हैं। लेकिन अब वर्क फ्रॉम होम से होने वाली एक समस्या सामने आ रही है। ये समस्या है पॉर्न एडिक्शन यानी अश्लील फिल्मों की लत। शोधकर्ताओं ने इसे लेकर चेतावनी दी है। ब्रिटेन में पॉर्न एडिक्शन से जुड़ी मेडिकल हेल्प मांगने वाले लोगों की संख्या महामारी के दौरान लगभग दोगुनी हो गई है। यही वह समय था जब ज्यादातर लोग अपने घरों से काम कर रहे थे। डॉक्टरों का कहना है कि कभी-कभी पॉर्न देखने वाले बहुत से लोग अब एडिक्ट बन गए हैं।
लंदन में लॉरेल सेंटर ब्रिटेन का सबसे बड़ा सेक्स और पॉर्न एडिक्शन क्लीनिक है। यहां वर्क फ्रॉम होम करने वाले कुछ ऐसे लोगों का इलाज चल रहा है जो एक दिन में 14-14 घंटे पॉर्न ही देखते रहते हैं। लॉरेल सेंटर की निदेशक डॉ पाउला हॉल ने कहा, ‘वर्क फ्रॉम होम के कारण लोग अब अपने साथ ज्यादा समय बिता पा रहे हैं। वह आज से पहले कभी अपने कंप्यूटर के साथ इतना अकेले नहीं रहे होंगे। इसका मतलब है कि आपके पास पॉर्न देखने का समय ही समय है। किसी को पॉर्न देखने के लिए घर जाने के इंतजार की जरूरत नहीं है।’
दोगुनी हुई पॉर्न एडिक्ट की संख्या
2022 के शुरुआती छह महीने में ही लॉरेल सेंटर में लगभग 750 पॉर्न एडिक्ट थे। वहीं, 2019 में पूरे साल ये संख्या 950 थी। डॉ. पाउला कहती हैं कि इस साल आने वाले मरीजों को पुराने मरीजों से ज्यादा गहन उपाय की जरूरत है। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन और महामारी के तनाव से लोगों का मानसिक स्वास्थ्य खराब हुआ है और लोग ऐसे में पॉर्न वेबसाइट विजिट कर रहे हैं।
लोगों को सहमकर्मियों का नहीं होता डर
अस्पताल के एक प्रवक्ता ने कहा कि पॉर्न की लत शर्म से जुड़ी एक बीमारी है। हम मुश्किल भावनाओं से बचने के लिए सेक्शुअल व्यवहार का इस्तेमाल करते हैं। पॉर्न देखना आसान है। ये शराब पीना या नशा करने जैसे नहीं है। डॉ. पाउला कहती हैं कि लोगों को वर्क फ्रॉम होम में इस बात का डर नहीं होता कि उनके सहकर्मी उन्हें पॉर्न देखते हुए देखेंगे। 2019 के एक आंकड़े के मुताबिक ब्रिटेन में 17 लाख लोग वर्कफ्रॉम होम करते हैं, जो पूरे वर्कफोर्स का पांच फीसदी है।