मौका था इंडोनेशिया के बाली में हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन का। इस समिट में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, यूके के नए पीएम ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी थे। यहां खास बात पीएम मोदी और चिनफिंग की मुलाकात रही।
सूत्रों के जरिए यह कहा गया है कि दोनों के बीच कोई गंभीर बातचीत नहीं हुई, बस शिष्टाचार के तहत किए जाने वाले औपचारिक सवाल-जवाब ही हुए। इसके बावजूद न तो यह मुलाकात विशुद्ध संयोग का परिणाम थी और न ही इसे पूरी तरह निरर्थक कहा जा सकता है। अगर दोनों पक्ष चाहते तो इसे आसानी से टाला जा सकता था। ध्यान रहे पिछले सितंबर महीने में समरकंद में हुई शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की शिखर बैठक में भी दोनों नेता मौजूद थे, फिर भी उस समय इनके बीच मुलाकात का ऐसा कोई विडियो नहीं आया। इस बार यह आया है तो इसके निश्चित ही कुछ अर्थ हैं। हालांकि गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से कई राउंड की सैन्य वार्ताओं और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद दोनों देश अपने सैनिक पीछे कर चुके हैं, लेकिन सीमा पर भारी संख्या में सेना की तैनाती अब भी जारी है। यह लगातार दूसरी सर्दियां हैं जब दोनों देश मौसम की प्रतिकूलताओं के बीच सीमा पर भारी संख्या में सेना तैनात रखने पर मजबूर हैं।
दोनों देश न तो सीमा पर तनाव कम कर पाए हैं और न ही आपसी विश्वास बहाल कर पाए हैं। चीन का कहना है कि सीमा विवाद को संबंधों के अन्य पहलुओं से न जोड़ा जाए। लेकिन भारत का स्पष्ट रुख है कि एलएसी पर मार्च 2020 से पहले की स्थिति कायम किए बगैर संबंध सामान्य नहीं हो सकते। इन हालात में दोनों देशों के सर्वोच्च नेताओं के बीच भले ही कोई बैठक या बातचीत नहीं हुई, लेकिन इस अनौपचारिक मुलाकात ने यह तो याद दिला ही दिया कि एक समय इन दोनों नेताओं के बीच की पर्सनल केमिस्ट्री के पूरी दुनिया में चर्चे थे। इस लिहाज से यह मुलाकात दोनों देशों के सर्वोच्च नेतृत्व में संबंधों को सामान्य बनाने की इच्छा का संकेत है और यह बातचीत की प्रक्रिया को सामंजस्यपूर्ण सहमति की ओर ले जाने लायक माहौल बनाने में मददगार जरूर साबित हो सकती है।