बेहद साधारण परिवार से आने वाले दीपक यादव ने अपनी प्रतिभा के बल पर ताइक्वांडो जैसे खेल में मुकाम हासिल करने का सपना देखा है। दीपक ने पिछले दिनों हुए अंतरराष्ट्रीय इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। गाजीपुर के अंधऊ गांव के रहने वाले दीपक के पिता राम बचन यादव प्लंबर का काम करते हैं।
गाजीपुर के अंधऊ गांव के रहने वाले दीपक के पिता राम बचन यादव पेशे से प्लंबर हैं। दीपक की मां गृहणी हैं। खेलों से परिवार के किसी भी सदस्य का दूर-दूर तक वास्ता नहीं हैं। घर की माली हालत बहुत सुदृढ़ नहीं होने के बाद भी दीपक ने ताइक्वांडो जैसे खर्चीली खेल में अपना भविष्य संवारने का निर्णय लिया। दीपक के पिता महज दसवीं कक्षा पास है। वही उनकी मां आठवीं तक पढ़ाई की है। दीपक के पिता की मासिक आय 7 से 8 हजार के बीच है। तीन भाइयों में दीपक दूसरे नंबर के भाई है।
दीपक ने बताया कि वह बचपन में अपने साथियों को ताइक्वांडो खेल खेलते-देखते थे, जिससे उनके अंदर इस खेल के प्रति आकर्षण पैदा हुआ। दीपक ने यह भी बताया कि बचपन में वह स्कूल जाते समय रास्ते में पड़ने वाली एक ताइक्वांडो एकेडमी में बच्चों को ताइक्वांडो की प्रैक्टिस करते देखते थे। इसके बाद दीपक के मन में भी ताइक्वांडो खेलने की इच्छा हावी हुई। यह इच्छा इस कदर दीपक के दिमाग मे घर कर गई कि वह घर वालों के लाख मना करने के बावजूद भी इस खेल को खेलने से अपने को नहीं रोक पाते थे।
दीपक शुरुआत में बिना किट के ही अकेले बिना किसी ट्रेनर के खाली वक्त में रियाज करना शुरू किए। इस दौरान उनकी मुलाकात वंश अकैडमी के संस्थापक विपिन यादव से हुई। विपिन ने दीपक के अंदर इस खेल के प्रति जुनून को पहचाना जिसके बाद विपिन और दीपक को वंश एकेडमी में दाखिला दे दिया। शुरुआती कुछ दिन बेहद कठिन थे। दीपक के परिजन उनकी ट्रेनिंग को लेकर बिल्कुल भी खुश नहीं थे। ऐसे में विपिन ने बताया कि उन्हें ट्रेनिंग के मद में कोई शुल्क नहीं मिलता था।
विपिन, दीपक के परिजन को दीपक की ट्रेनिंग के बाबत राजी करना चाहते थे। लेकिन, ऐसा उस समान नहीं हो पाया। 2020 से दीपक ने वंश अकादमी में नियमित रियाज के बाद वह 2021 में डिस्ट्रिक्ट स्तर की प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल लाने में कामयाब हासिल कर ली। इस गोल्ड मेडल ने दीपक के परिजन की उसके और ताइक्वांडो खेल के प्रति नजरिए में व्यापक तब्दीली ला दिया। दीपक को अब उनके घर वालों का सपोर्ट मिलने लगा।दीपक ने अपने परिश्रम के बल पर पिछले दिनों नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में हुए अखिल भारतीय अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की है।
इस प्रतियोगिता में शामिल होने के पीछे भी दीपक को बेहद संघर्ष करना पड़ा। दीपक के कोच विपिन यादव ने बताया कि दीपक के परिजन उसे दिल्ली भेजने को लेकर आश्वस्त नहीं थे। प्रतियोगिता में हिस्सा लेने सभी बच्चों का रिजर्वेशन एसी थर्ड क्लास में करा लिया गया था। अंतिम वक्त पर दीपक के परिजन कुछ पैसे लेकर विपिन यादव के पास पहुंचे और उन्होंने दीपक को दिल्ली में होने वाली प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए भेजने की बात कही। विपिन ने बताया कि उनकी संस्था की ओर से दीपक का टिकट आदि और रहने ,खाने का इंतजाम किया गया।
दीपक के पास ताइक्वांडो खेलने में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोफेशनल किट का भी अभाव था। आनन-फानन में किसी अन्य बच्चे से किट मांग दीपक को दी गई ।दीपक ब्रोंज मेडल जीतने के बाद बेहद उत्साहित हैं ।उनकी इच्छा है कि वह इस खेल में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी एकेडमी और अपने परिजन का नाम रोशन करें ।दीपक अब आगामी दिनों में होने वाले को कुकीयां कप की तैयारियों में जुट गए है।यह कप 2023 में दिल्ली में आयोजित होने है।उनके कोच विपिन यादव ने भी उम्मीद जताई है कि दक्षिण कोरियाई ताइक्वांडो प्रतियोगिता कुकीयां में दीपक बेहतर प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल हासिल करेंगे में कामयाब होंगे। यह प्रतियोगिता दक्षिण कोरिया देश की तरफ से दिल्ली में आयोजित होना है।