यूपी में एक जिला है, बांदा. यहां के एक छोटे से गांव तिलौसा से निकले प्रभात ओझा ने साइंटिस्ट की परीक्षा पास कर अपने परिवार और इलाके का नाम रौशन कर दिया है. प्रभात का चयन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार (NIC IT) में ‘वैज्ञानिक बी’ के लिए हुआ है. Unsplash/representational picturesपूरे देश में 44 वीं रैंक लाकर प्रभात ने साबित कर दिया कि अगर सच्चे मन से मेहनत की जाए तो सफलता एक न एक दिन मिल ही जाती है. इंसान की दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे हर एक बाधा को घुटने टेंकने ही पड़ते हैं. प्रभात बचपन से ही मेधावी थे इसलिए माता-पिता ने उनकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं रहने दी प्रभात ने भी घरवालों को निराश नहीं किया और मन लगाकर पढ़ाई की. 10वीं के बाद 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास होने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और साइंटिस्ट बनने के अपने सपने को पूरा करने किए कड़ी मेहनत शुरू कर दी. बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रभात ने नौकरी करने की जगह ‘गेट’ की परीक्षा के लिए तैयारी की और सफल हुए.
Unsplash/representational pictures‘गेट’ पास कर वो उच्च शिक्षा के लिए आईआईटी गुवाहाटी गए और बाद में रेलवे में इंजीनियर के पद पर चयनित हुए. कोई और होता तो शायद इसके बाद रुक जाता. मगर प्रभात नहीं रुके और 2020 में साइंटिस्ट बनने के लिए परीक्षा दी. अब जब उनका रिजल्ट आया है तब वो इस परीक्षा में भी पास हुए और अपने मां-बाप का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया.
Unsplash/representational pictures‘गेट’ पास कर वो उच्च शिक्षा के लिए आईआईटी गुवाहाटी गए और बाद में रेलवे में इंजीनियर के पद पर चयनित हुए. कोई और होता तो शायद इसके बाद रुक जाता. मगर प्रभात नहीं रुके और 2020 में साइंटिस्ट बनने के लिए परीक्षा दी. अब जब उनका रिजल्ट आया है तब वो इस परीक्षा में भी पास हुए और अपने मां-बाप का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया.