‘प्राण’ फिल्म जगत का एक जाना-माना नाम थे. उनके बारे में एक बात खूब मशहूर है. कहते हैं कि वो बॉलीवुड के एक ऐसे विलेन थे. जिसका नाम रखने से भी लोग डरते थे. ऐसा क्यों आइए जानने की कोशिश करते हैं.
12 फरवरी 1920 को प्राण का जन्म एक आम परिवार में हुआ था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक फोटोग्राफर के रूप में की थी. 1940 में एक यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर वली से हुई. वली को अपनी फिल्म यमला जट्ट के लिए एक नए चेहरे की तलाश थ, जिसमें प्राण फिट बैठे और इस तरह उनका फिल्मी सफर शुरू हो गया. आगे 1942 में उन्हें हिन्दी फिल्म खानदान में काम करने को मिला.
1947 में प्राण ने देश के बंटवारे का दंश भी झेला. बंटवारे के बाद उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा. वो मुंबई आ गए थे लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा था. हालांकि, प्राण ने हार नहीं मानी और लगे रहे.जल्द ही प्राण की मेहनत रंग लाई और उनका फिल्मी सफर फिर से शुरू हुआ. विलेन के रोल में उन्हें दर्शकों का खूब प्यार मिला. करीब पांच दशक के करियर में उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया.
जिद्दी, जंजीर, खानदान, औरत, बड़ी बहन, सीतापुर की गीता, तूफान, जिस देश में गंगा बहती है, हॉफ टिकट, उपकार, पूरब और पश्चिम, कालिया, राजतिलक, और प्राण डॉन के करियर की कुछ बेहतरीन फिल्में हैं. अपनी हर फिल्म में प्राण ने विलेन के रोल को इतनी शिद्दत से निभाया कि हर किसी को लगने लगा था कि वह असल में एक विलेन हैं. आम लोग उनके नाम से इतना घबराने लगे थे कि अपने बच्चों का नाम प्राण नहीं रखा.
प्राण एक्टिंग के लिए कितना समर्पित थे. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सिर्फ 1 रुपए में ‘बॉबी’ साइन कर ली थी. 2013 में 12 जुलाई को इस सितारे ने अपनी आखिरी सांस ली हर आंख नम कर गया.