प्रांजल पाटिल: अपनी किस्मत ख़ुद लिखने वाली भारत की पहली दृष्टिबाधित महिला IAS अधिकारी

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हाल ही में देश की पहली दृष्टिबाधित/ Visually Impaired IAS अधिकारी के रूप में प्रांजल पाटिल ने तिरुवनंतपुरम के सब कलेक्टर की ज़िम्मेदारी संभाली. इसके साथ ही वह उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं, जो किस्मत को दोष देने की वजाए अपनी ज़िंदगी बनाने में विश्वास रखते हैं.

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6 साल में खो दी थी आंख

प्रांजल महाराष्ट्र के उल्हासनगर से हैं. वह महज़ 6 साल की थीं, जब खेल-खेल में उनके साथ पढ़ने वाले एक लड़के ने उनकी आंख में पेंसिल चुभा दी. इस हादसे ने हमेशा के लिए उनकी एक आंख ख़राब कर दी. कहने के लिए दूसरी आंख सुरक्षित थी.

मगर जल्द ही उसकी रौशनी भी ख़त्म हो गई. इस मुश्किल समय में प्रांजल को अपने माता-पिता का साथ मिला. उनकी पढ़ने में रुचि थी. लिहाज़ा उन्होंने प्रांजल को मुंबई के दादर में नेत्रहीनों के लिए श्रीमती कमला मेहता स्कूल में भेजा. जहां प्रांजल ने एक लंबा वक्त बीता.

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तकनीक को अपना साथी बनाया

आगे वह मुंबई के St. Xavier’s College गईं, जहां से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. जानकारी के मुताबिक ग्रेजुएशन के दौरान ही प्रांजल ने IAS बनने का प्लान किया और इसकी तैयारियों में लग गईं.

पहले एमए फिर एमफिल करते के बाद तो उन्होंने ख़ुद को पूरी तरह से यूपीएससी के लिए झोंक दिया. इस सफर में उन्होंने तकनीक को अपना साथी बनाया. उन्होंने कई ऐसे सॉफ्टवेयर्स की मदद ली, जो ख़ास तौर से नेत्रहीन लोगों के लिए बनाए गए है.

यूपीएससी में 773वीं रैंक थी

साल 2016 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की, जिसमें उनकी 773वीं रैंक थी.  इस तरह अपने लगातार प्रयासों और अटूट विश्वास से उन्होंने अपनी किस्मत खुद लिख डाली. साथ ही लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं.