हिंदू संस्कृति में भगवान के प्रसाद का बहुत विशेष महत्व है. प्रसाद को आमतौर पर भोग के रूप में जाना जाता है. ये ज्यादातर विशेष तरीकों से तैयार किए गए भोजन, मूर्तियों के लिए कपड़े और अन्य विशेष प्रसाद के रूप में हो सकता है. हिंदू धर्म के कई देवी-देवताओं में से एक भैरवनाथ प्रसाद के मामले में अन्य देवताओं से अनोखे माने जाते हैं. क्योंकि इन्हें लगने वाला भोग और प्रसाद अन्य देवताओं के मुकाबले बेहद अलग होता है.
भैरव मंदिर की अनूठी परंपरा
शिप्रा नदी के तट पर स्थित, काल भैरव मंदिर में देवता के प्रसाद के लिए एक अनूठी प्रतिष्ठा बनाई है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि इसे राजा भद्रसेन ने बनवाया था. भैरव अष्टमी के शुभ अवसर के साथ अपने देवता को भव्य भेंट चढ़ाने के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए गए हैं.
मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है. बुधवार शाम को, भगवान भैरवनाथ को भव्य प्रसाद चढ़ाया गया, जिसमें 1351 प्रकार के भोग देवता को भेंट किए गए. इस मंदिर में ये अवसर प्राचीन काल से मनाया जाता है. भैरव बाबा का श्रृंगार किया जाता है और गहनों से सजाया जाता है. सेवा के अंत में “महा भोग” का आयोजन होता है.
लगता है 1351 प्रकार का भोग
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टाइम नाउ न्यूज के अनुसार, पूरे समारोह की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां लगने वाले 1351 प्रकार के “भोग” में सिगरेट, शराब, भांग और चरस सहित विभिन्न प्रकार के पदार्थ पाए जाते हैं. प्रसाद भगवान के लिए भक्त जो लाते हैं उसे इकट्ठा कर भगवान भैरवनाथ को भेंट चढ़ाया जाता है. बाद में इसे भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है.
शराब सिगरेट भी है प्रसाद में शामिल
शराब सिगरेट जैसे पदार्थों के अलावा भोग में 390 प्रकार की अगरबत्ती, 180 प्रकार के फेस मास्क, कई प्रकार की चॉकलेट और सूखे मेवे, 60 प्रकार की गुजराती नमकीन, 56 प्रकार के नमकीन, 55 प्रकार की मिठाइयां, 45 प्रकार के बिस्कुट और अन्य बेकरी मिठाइयां भी शामिल हैं. इसके अलावा भी भोग में बहुत कुछ शामिल होता है. लेकिन इस भोग को अन्य देवताओं को चढ़ने वाले भोग से भिन्न बनाया 60 प्रकार के सिगरेट पैकेट, 40 प्रकार की शराब, चिलम, भांग और अन्य चीजें जैसे शीतल पेय और फल ने.
ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता की पूजा करने से भक्तों की कोई भी मनोकामना पूरी होती है, परंपरा को जारी रखते हुए अधिकारी हर साल बड़ी भेंट चढ़ाते हैं.