Prayagraj Rose Farming Story: प्रयागराज में एक बड़ा बदलाव खेती में दिख रहा है। किसानों ने आलू की फसल को छोड़कर गुलाब की खेती शुरू कर दी है। ट्रांस यमुना के इलाके के इस सुगंधित बदलाव के पीछे एक शख्स की पहल है। वह हैं पंकज शुक्ला। किसान अब आधुनिक गुलाबों की खेती की ओर भी रुख कर रहे हैं।
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। यह बदलाव खेती के क्षेत्र में एक नई कहानी रच रहा है। गढ़ रहा है। किसानों की स्थिति में सुधार की यह कहानी अब दूर तक असर दिखाती दिख रही है। यह कहानी है प्रयागराज के ट्रांस यमुना इलाके की। कभी आलू की खेती के लिए प्रसिद्ध यह इलाका अब गुलाबों की खुशबू से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। गुलाबों की मांग ने यहां के किसानों के लिए अवसर खोले। उसका लाभ जमकर उठाया जा हा है। अब ट्रांस यमुना का इलाका गुलाब की टोकरी बन गया है। एनएच-35 पकड़िए और मिर्जापुर जिले की तरफ दक्षिण की तरफ बढ़िए। आपकी नजरों में जो नजारा दिखेगा, वह अद्भुत है। विभिन्न किस्मों के रंगीन गुलाब आपकी नजरों से उतरेंगे ही नहीं। और मीठी सुगंध के क्या कहने। यह आपको अनायास ही अपना दीवाना बना लेगी।
कैसे आया ये बड़ा बदलाव?
प्रयागराज में किसान परंपरागत खेती पर ही जोर देते थे। आलू की फसल सबसे अधिक उपजाई जाती थी। लेकिन, इस फसल ने किसानों के लिए मौके अधिक नहीं बनाए। नुकसान होता गया। मुनाफा घटने लगा। परेशान किसान विकल्प की तलाश रहे थे। इसी दौरान उन्हें गुलाब की खेती का विकल्प मिला। नए ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो- स्प्रिंकलिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए यहां के किसान अब नूरजहाँ और प्राइड किस्मों के अलावा देसी किस्म के गुलाब उगाते हैं। करछना और चाका के बीच 500 एकड़ से अधिक खुले खेतों में पारंपरिक देसी गुलाब की खेती कर रहे हैं।
किसानों के एक वर्ग ने पॉलीहाउस तकनीक का उपयोग करते हुए ट्रांस गंगा क्षेत्र के सोरोन एवं झूंसी ब्लॉक और ट्रांस-यमुना क्षेत्र में जसरा ब्लॉक में गुलाब के पौधों को तैयार करने का विकल्प चुना है। राज्य के बागवानी विभाग में उप निदेशक, बागवानी पंकज शुकला कहते हैं कि ज्यादातर किसान ‘देसी’ किस्म के गुलाब उगा रहे हैं, क्योंकि इसका बहुत बड़ा बाजार है। दरअसल, यह पंकज शुक्ल ही थे, जिन्होंने किसानों को फूलों की खेती की नवीनतम तकनीकों से परिचित कराया।
पंकज शुक्ल कहते हैं कि अधिकांश किसान अपनी फसल का तत्काल रिटर्न चाहते हैं। ट्रांस यमुना के चाका और करछना ब्लॉक के लोगों ने गुलाब की खेती को एक उपयुक्त विकल्प पाया। कम से कम 200 किसान जो पहले आलू की खेती में लगे थे, पिछले 2-3 वर्षों में गुलाब की खेती करने लगे हैं।
प्रयागराज के किसान अब बागवानी विभाग की मदद से फूलों की कलियों सहित गुलाब की उन्नत किस्मों की खेती करने की भी योजना बना रहे हैं। कृषि विशेषज्ञ मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं क ट्रांस-यमुना बेल्ट में स्थितियां गुलाब की खेती के लिए अनुकूल हैं। किसान अब गुलाब की नई किस्मों के बारे में जानकारी मांग रहे हैं। वे कहते हैं कि वे दिन गए, जब वाराणसी या कोलकाता से गुलाब प्रयागराज लाए जाते थे। प्रयागराज में ही अब गुलाब की पर्याप्त फसलें हैं। प्रयागराज और आसपास के जिलों में पूरी फसल, विशेष रूप से खुली किस्म की खपत की जा रही है।
मनोज श्रीवास्तव कहते हैं कि औसतन हर रोज गुलाब के फूलों की मांग लगभग 3-4 टन है। यह शादी और त्योहारों के मौसम में दोगुनी हो जाती है। किसान इसकी भारी मांग के कारण ‘देसी गुलाब’ उगाने में अधिक रुचि रखते हैं। हम उन्हें गुलाब की खेती की नवीनतम तकनीकों के बारे में बताने की कोशिश कर रहे हैं। गुलाब उत्पादन के लिए हॉर्टिकल्चर विभाग ने व्यापक कार्ययोजना भी तैयार की है।