मेहनत और परिश्रम का फल एक न एक दिन ज़रूर मिलता है. मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं होता, रास्ता कितना लंबा होगा, कितने दिन तक श्रम करना पड़ेगा, कितनी मुश्किलें आएंगी इसका भी कोई हिसाब नहीं. बस लगे रहना पड़ता है. बिहार के कमल किशोर मंडल (Kamal Kishor Mandal) ने ये साबित कर दिया. कमल किशोर का चयन तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी (Tilka Manjhi Bhagalpur University, TMBU) के अंबेडकर विचार और सामाजिक कार्य विभाग (स्नातकोत्तर) (Ambedkar Thought and Social Work Department) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ है. कमल किशोर इसी विश्वविद्यालय में 20 साल से गार्ड की नौकरी कर रहे थे.
पहले गार्ड थे, अब बने असिस्टेंट प्रोफेसर
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बिहार के भागलपुर के रहने वाले कमल किशोर मंडल 2003 में 23 साल की उम्र में उन्होंने मुंगेर स्थित आर डी एण्ड डी जे कॉलेज में गार्ड की नौकरी जॉइन की. पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएट होने के बावजूद मंडल ने गार्ड की नौकरी की क्योंकि उन्हें पैसों की सख्त ज़रूरत थी.
मुंगेर के आर डी एण्ड डी जे कॉलेज से उन्हें तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी भेजा गया. 2008 में उन्हें चपरासी की नौकरी दी गई.
नौकरी करते हुए किया MA, PhD
तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी में नौकरी करते हुए कमल किशोर ने पोस्ट ग्रैजुएशन करने का निर्णय लिया. विश्वविद्यालय के अधिकारियों से अनुमति लेकर उन्होंने 2009 में MA में प्रवेश लिया. कमल किशोर MA करके संतुष्ट नहीं थे, आगे पढ़ना चाहते थे. तीन साल तक विश्वविद्यालय अधिकारियों से अनुरोध करने के बाद उन्हें PhD करने की अनुमति मिली. 2013 में उन्होंने दाखिला लिया और 4 साल बाद PhD पूरी कर ली.
कमल किशोर ने NET परीक्षा भी पास कर ली और लेक्चरर की नौकरी के लिए आवेदन देना शुरू किया.
जिस विभाग में चपरासी थे, उसी में बने असिस्टेंट प्रोफेसर
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2020 में बिहार स्टेट यूनिवर्सिटी सर्विस कमिशन ने तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी में चार असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पोस्ट की वैकेंसी का Ad डाला. कमल किशोर ने अप्लाई कर दिया. मई 2022 में रिज़ल्ट आए और कमल किशोर को उसी विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बनाया गया जिसमें वे चपरासी का काम करते थे.
पिता चाय बेचते हैं
कमल किशोर बेहद गरीब परिवार से आते हैं. The Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, उनके पिता की चाय की दुकान है. कमल किशोर ने कहा, ‘मैंने गरीबी और पारिवारिक समस्याओं को पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया. मैं सुबह पढ़ाई करता था और दिन में ड्यूटी. रात में भी पढ़ाई करता था.’
नियुक्ति पर लगी रोक
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गुड न्यूज़ टूडे के एक लेख के अनुसार, कमल किशोर की इस सफ़लता से यूनिवर्सिटी के अधिकारी नाखुश हैं. नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है और कुलपति ने मामले की जांच के लिए चार लोगों की टीम का गठन किया है. कमल किशोर ने कहा कि उन्होंने आगे की पढ़ाई यूनिवर्सिटी से अनुमति लेकर ही की थी.