जेल में कैदी ऐसे करते हैं खरीददारी, पैसों की नहीं पड़ती जरूरत

जेल में कैदियों को पैसे रखना होता है जुर्म

हर इंसान की अपनी जरूरतें होती हैं और उन जरूरतों को पूरा करने के लिए हर किसी के पास कोई न कोई साधन जरूर होता है। आम जनता अपना जरूरत का सामान दुकानों से खरीदती है। आम लोगों की तरह जेल में रह रहे कैदियों के लिए भी दुकानें होती हैं। कैदी इन दुकानों से कुछ भी खरीद सकते हैं। जेल में पैसों की जगह कूपन इस्तमेाल किए जाते हैं।

जेल में नोट या पैसे नहीं चलते हैं। जेल में पैसे रखना जुर्म होता है। जेल में कैदी भारतीय मुद्रा की जगह जेल के पैसे अपने पास रखते हैं और इन पैसों को रखने की भी एक लिमिट होती है। यह कूपन पुराने जमाने की टिकट की तरह होती हैं। इन पर 1, 2, 5, 10 और 20 लिखा होता है। इसे जेल की करेंसी भी कहा जाता है। जेल में कैदियों के लिए दुकानों के साथ-साथ सरकारी कैंटीन भी होती है, जिसमें रोज के इस्तेमाल का सामान मिलता है। जेल की कैंटीन से कैदी अपना जरूरत का सामान खरीद सकते हैं।

जानकारी के अनुसार, जेल में कूपन मिलने के दो जरिए होते हैं। कैदी के घर वाले जेल में कैदी के लिए पैसे जमा करवाते हैं, जिसके आधार पर कैदी को पैसे मिल जाते हैं। कैदी के घर वालों ने जितने रूपये कैदी के लिए जमा करवाएंगे कैदी को उतने ही कूपन जेल से दिए जाते हैं। इसके अलावा कैदी जितना काम जेल में करेंगे उसी हिसाब से उनको जेल से कूपन दिए जाएंगे। कैदी ये कूपन जमा करते रहते हैं और फिर इसी से वह अपना दिनचर्या का सामान खरीदते हैं। वहीं, जब कैदी की सजा खत्म होती है तो कैदी जमा किए हुए कूपन को जेल में जमा करवा कर बदले में पैसे ले सकता है।