प्रियंका चोपड़ा इस वक्त लखनऊ में हैं। प्रियंका चोपड़ा के कई वीडियोज़ सोशल मीडिया पर छाए हैं, जहां स्कूल कैंपस में बच्चों के साथ बैठकर तसल्ली से उनसे बातें करती दिख रही हैं।वहां मौजूद बच्चे भी प्रियंका की बातें काफी ध्यान से सुन रहे हैं। प्रियंका ने कहा- मैंने अपने बचपन के कुछ साल लखनऊ के स्कूल में बिताए हैं।
प्रियंका चोपड़ा इन दिनों भारत में हैं और फिलहाल वह अपने होमटाउन लखनऊ में हैं। यूनिसेफ की ग्लोबल गुडविल एंबैसडर के तौर पर प्रियंका चोपड़ा लखनऊ पहुंचीं और स्कूली बच्चों के बीच उन्होंने काफी सारा वक्त बिताया। प्रियंका चोपड़ा हाल में मुंबई से दिल्ली पहुंचीं और अब यूपी के फील्ड ट्रिप पर निकल चुकी हैं। वहां पहुंचते ही उन्होंने यूनीसेफ से मिली जिम्मेदारियां निभाने निकल गईं, जिसका वीडियो भी सामने आया है।
स्कूल कैंपस में बच्चों के साथ बैठकर बातें करती दिखीं
Priyanka Chopra ने कई सारे यूनीसेफ सेंटर पहुंचीं। प्रियंका चोपड़ा के कई वीडियोज़ सोशल मीडिया पर छाए हैं, जहां स्कूल कैंपस में बच्चों के साथ बैठकर तसल्ली से उनसे बातें करती दिख रही हैं।वहां मौजूद बच्चे भी प्रियंका की बातें काफी ध्यान से सुन रहे हैं।
‘मैंने अपने बचपन के कुछ साल लखनऊ के स्कूल में बिताए’
इसके अलावा प्रियंका चोपड़ा ने लखनऊ के चिकनकारी वर्क की तारीफ को लेकर भी पोस्ट किया है। प्रियंका ने कहा है कि इस वक्त वह लखनऊ में फील्ड विजिट पर हैं। प्रियंका ने कहा है, ‘मैंने अपने बचपन के कुछ साल लखनऊ के स्कूल में बिताए हैं। उन्होंने बताया कि उनकी फैमिली और फ्रेंड्स आज भी लखनऊ में हैं।
‘लड़कियों को इसका सबसे अधिक नुकसान सहना पड़ता है’
प्रियंका यूनिसेफ के अभियान में उसका चेहरा बनकर उन बच्चों के बीच पहुंची हैं। दरअसल प्रियंका यह खुद से देखना चाहती हैं कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के लिए चीजें कैसे बदली हैं और टेक्नॉलजी-इनोवेशन ने इसे किस हद तक बदला है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लैंगिक असामनता के कारण काम को लेकर असमान अवसर मिलता है और खासकर लड़कियों को इसका सबसे अधिक नुकसान सहना पड़ता है।
भेदभाव और हिंसा को खत्म करने का मकसद
इस मौके पर उन्होंने हिंसा को खत्म करने और यूपी में लड़कियों के साथ भेदभाव को खत्म करने पर कुछ बातें कहीं। उन्होंने कहा, ‘हम कई सारे यूनीसेफ पार्टनर्स से मिल रहे हैं। इसका मकसद ये देखना है कि लड़कियों के साथ भेदभाव और हिंसा को खत्म करने के मकसद से कितना काम किया गया है। मैं उनके चैलेंजेज के बारे में उनसे सुनूंगी जो उन्हें रोज झेलना पड़ता है और उसके सॉल्यूशन के देखना चाहूंगी। जैसा कि मैंने पहले भी कई बार कहा है कि महिलाएं और लड़कियां केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि उनकी कम्यूनिटी के बेहतर फ्यूचर के लिए भी सबसे अहम हैं।’