नाहन/6 अक्तूबर : खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे नवाब। ये कहावत आधुनिक समय में कुछ खिलाड़ियों ने सिद्ध कर दिखाई है। कब्बडी जैसे खेल में पसीना बहा कर आज हिमाचल के युवा जहां पैसा कमा रहे हैं। वहीं देश व प्रदेश का नाम रोशन कर उन कहावतों को झूठा साबित कर रहे हैं। जिसमें खेलने वाले को खेल-कूद कर खराब होना बताया जाता था। आज अच्छे-अच्छे इंजीनियर, डॉक्टर, एमबीए व वकालत जैसे प्रोफेशनल लोग भी इतना पैसा नहीं कमा पाते जितना कबड्डी खिलाड़ी एक सीजन में कमा लेते है।
अभिभावक अब पढ़ाई के अलावा स्पोर्ट्स को भी कैरियर बनाने की इजाजत दे रहे हैं। कई खेलों में नेशनल लीग में युवा अपना दमखम दिखा रहे हैं। क्रिकेट के अलावा फुटबॉल, कुश्ती, कबड्डी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, टेबल-टेनिस, बॉक्सिंग जैसे खेल शामिल हैं। जहां युवा अपना कैरियर स्पोर्ट्स के बेस पर रेलवे, ओएनजीसी, भारतीय पेट्रोलियम, आरपीएफ, सीआईएसएफ, हिमाचल पुलिस जैसे संस्थानों में नौकरियां पा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारतीय टीम की कमान संभाल चुके अजय ठाकुर, प्रियंका नेगी, कविता ठाकुर जैसे खिलाडी है। जो आज हिमाचल पुलिस में शीर्ष पदों पर काम कर रहे है।
07 अक्तूबर से शुरू हो रहे प्रो-कब्बडी सीजन-9 में हिमाचल के कई युवा विभिन्न फ्रेंचाइजिज के लिए कब्बड़ी की मेट पर अपने जौहर दिखाएंगे। इनमें ऊना जिले के देहला गांव के तीन युवा सुरेंद्र सिंह, विशाल भारद्वाज, आकाश चौधरी के अलावा मंडी जिला के बल्ह के महेंद्र सिंह नालागढ़ के दभोटा क्षेत्र के बलदेव सिंह व नितिन चंदेल शामिल है। अहम बात ये है कि इनमें से दो खिलाडी अपनी-अपनी फ्रेंचाइजिज के लिए कप्तानी करते नजर आएंगे।
साढ़े 35 लाख के बेस प्राइज में खरीदे गए सुरेंद्र सिंह (राइट डिफेंडर) दो बार की चैम्पियन टीम युमुम्बा की कमान सभालेंगे। वहीं मंडी के स्टार डिफेंडर महेंद्र सिंह बेंगलुरु बुल्स की कप्तानी नजर आएंगे। 10 जनवरी 1996 को जन्मे महेंद्र सिंह भारत के सबसे मजबूत डिफेंडर में से एक हैं। प्रो कबड्डी लीग के पिछले 3 सीज़न के लिए बेंगलुरु बुल्स के लिए खेले , वहीं अब उन्हें इस टीम की कमान मिल गई है।
अजय ठाकुर के बाद अब ये युवा खिलाड़ी हिमाचल कब्बड़ी की विरासत को आगे बड़ा रहे है। अब देखना यह होगा कि इस पूरे सीजन में ये दोनों कप्तान अपनी टीम को कहां तक पहुंचा पाते हैं। निजी खेल के साथ अब इनपर टीम को भी चलाने की जिम्मेदारी रहेगी।