Difference Between Public Bill And Private Bill: पब्लिक बिल और प्राइवेट बिल में होता है बेसिक अंतर
हम सभी इस विषय से अवगत हैं कि संसद में पेश किए गए विधेयक यानी बिल दो प्रकार के होते हैं 1- पब्लिक बिल (Public Bill) और 2- प्राइवेट बिल (Private Bill)। हालांकि दोनों एक ही सामान्य प्रक्रिया द्वारा शासित होते हैं और सदन में समान चरणों से गुजरते हैं। लेकिन फिर भी इनमें कुछ बेसिक अंतर हैं जिनके विषय में जानना बेहद जरूरी है। पब्लिक बिल संसद में केवल एक मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है जबकि प्राइवेट बिल संसद के किसी भी सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है। आइए एक एक करके इनके बीच बेसिक अंतर (Difference Between Public Bill And Private Bill) को जान लेते हैं।
1- पब्लिक बिल को संसद में एक मंत्री द्वारा पेश किया जाता है जबकि प्राइवेट बिल को मंत्री के अलावा संसद का कोई भी सदस्य पेश कर सकता है।
2- पब्लिक बिल सरकार यानी जो पार्टी सत्ता में है उसकी नीतियों को दर्शाता है। वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट बिल सार्वजनिक मामले पर राजनीतिक दल के मूड को दर्शाता है।
3- पब्लिक बिल के संसद द्वारा पारित होने की अधिक संभावना है जबकि इसके विपरीत संसद द्वारा प्राइवेट बिल के पारित होने की संभावना कम होती है।
4- पब्लिक बिल यदि संसद के निचले सदन में अस्वीकार कर दिया जाता है तो यह कैबिनेट के इस्तीफे का कारण बनता है। प्राइवेट बिल यदि अस्वीकार कर भी दिया जाए तो सत्तारूढ़ दल के संसदीय विश्वास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
5- पब्लिक बिल के इंट्रोडक्शन के लिए सदन में 7 दिन का नोटिस चाहिए। वहीं प्राइवेट बिल को एक महीने के इंट्रोडक्शन की आवश्यकता होती है।
6- पब्लिक बिल संबंधित विभाग द्वारा विधि विभाग के परामर्श से तैयार किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट बिल का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी संबंधित सदस्यों की होती है।