राजस्थान के जोधपुर का एक थाना विवाह के मंडप में उस समय तब्दील हो गया जब पुलिस ने एक परिवार में सुलह करवाकर आपसी मुकदमे को न केवल खत्म किया बल्कि गाजे बाजे से जोड़ों का विवाह करवाकर विवाद को हमेशा के लिए खत्म कर दिया. आपसी विवाद के मुकदमों के बाद लोगों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस ने एक सरहानीय कदम उठाते हुए दो जोड़ों का फिर से विवाह करवाकर एक मिसाल पेश की है. मामला दईजर महिला पुलिस थाने का है. इस थाने में शुक्रवार का दिन खास था क्योंकि यहां विवाह का मण्डप सजा था. इस मण्डप में दो विवाह धूमधाम से सम्पन्न हुए. थाने के बाहर बैंड-बाजों की मधुर धुन पर नाचते-गाते बाराती थे, तो वहीं थाने के अंदर दुल्हन पक्ष बने पुलिसकर्मियों के साथ बारात का इंतजार करती दो सजी-धजी वधु खड़ी थी.
जब दोनों बारात पुलिस थाने के द्वार पर पहुंची तो पुलिसकर्मियों ने जोरदार स्वागत सत्कार किया. इस दौरान दो परिवार के समधी-समधन, रिश्तेदार गले मिले. पुष्पवर्षा के बीच दोनों जोड़ों ने वरमालाएं पहनाई. मंत्रोच्चार के बीच मंडप में अग्नि के समक्ष 7 फेरे लिए गए. इस थाने के पुलिसकर्मियों ने कन्यादान किया. फिर आशीर्वाद देकर विदा किया. दरअसल इन दोनों ही जोड़ों का विवाह 7 साल पहले हुआ था, लेकिन विवाद के बाद दोनों जोड़ों के तलाक की नौबत आ गई थी.
अरटिया खुर्द और देवातड़ा के दो परिवारों ने साल 2015 में आमने-सामने रिश्ता तय कर एक-दूसरे के घरों में अपनी-अपनी बेटियों का विवाह कर दिया था. देवातड़ा गांव निवासी 30 वर्षीय गिरधारीराम पुत्र कंवराराम विवाह अरटिया खुर्द के जीवनराम की 28 वर्षीय बेटी ऊषा के साथ हुआ. वहीं दूसरी ओर ऊषा के भाई विशनाराम का विवाह गिरधारीराम की बहन धारू के साथ सम्पन्न हुआ था. कुछ समय बाद पारिवारिक झगड़ों के बाद दोनों परिवारों में दूरियां आ गई. एक साल पहले ऊषा और धारू दोनों ही अपने-अपने पीहर लौट आई. करीब डेढ़ महीने पहले दोनों परिवारों ने भोपालगढ़ थाने में दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाते हुए परस्पर मुकदमे दर्ज करवा दिए.
मामले की जांच महिला पुलिस थाना ग्रामीण की सीआई रेणु के पास आई. सीआई ने दोनों परिवारों व दंपतियों से लगातार मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाइश. बार-बार की गई काउंसलिंग ने परिणाम दिखाया और दोनों परिवार एक बार फिर से एक हो गए.
महिला थाना प्रभारी रेणू ठाकुर ने बताया कि ऊषा-धारू ने एक-दूसरे के परिवार वालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना के साथ अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज करवाए थे. पहले वे किसी भी सूरत में ससुराल वालों के साथ में नहीं रहना चाहती थी. बाद में काउंसलिंग की गई और लगातार समझाया गया. आखिर यह प्रयास रंग लाएय दोनों फिर गठबंधन में बंधना चाहते थे. तो हम भी खुशी में शामिल हुए और थाने के बाहर ही यह कार्यक्रम आयोजित किया. इसके बाद दोनों पक्षों के लोग बारात लेकर आए व दोनों जोड़ों का पुनर्विवाह की रश्म की गई. इस विवाह में दोनों जोड़ों के बच्चे भी सम्मिलित हुए. पुलिस ने मानवीय पक्ष को समझा और आज दो परिवार फिर हंसी खुशी साथ जीवन यापन कर रहे है. यह एक नई शुरुआत इन दोनों परिवार के लिए एक नए सूर्योदय की तरह है.