बिहार की पुष्पा झा ने मशरूम की खेती से कमाल किया, हजारों लोगों को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रहीं

देश की महिलाओ को आज हम बड़े बड़े काम करते देख रहे हैं और कई टेक कंपनियों में भारतीय महिलाएं बड़ी पोस्ट पर भी आसीन हैं। केवल शहर की महिलाएं ही नहीं, बल्कि गाँव की महिलाएं भी ऐसे अनोखे काम करके नाम और पैसा कमा रही हैं, जिसके बारे में अब तक किसी ने सुना भी नहीं था। ऐसे ही बिहार के दरभंगा की एक महिला पुष्पा झा (Pushpa Jha) की कहानी आजकल सुर्ख़ियों में हैं।

बिहार राज्य के दरभंगा (Darbhanga) जिले के बलभद्रपुर गांव की रहनेवाली 47 वर्षीय महिला पुष्पा झा मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti) कर के लाखों रूपए की तगड़ी कमाई कर रही है। यह कारनामा करके पुष्पा ने बिहार में अन्न किसानो और महिलाओं को प्रोत्साहित किया है। पुष्पा साल 2010 से मशरूम की खेती में कर रहीं है। उनकी ख्याति हाल ही में बिहार के अलावा अब संपूर्ण देश में फैलने लगी है।

हर दिन 10 किलो मशरूम का उत्पादन

पुष्पा झा अब बिहार में एक सम्मानीय नाम बन गई है। उनके द्वारा हर दिन 10 किलो मशरूम का उत्पादन (Mushroom Cultivation) किया जाता है, जिसे 100 से 150 रुपये प्रति किलो की रेट पर बाज़ार में बेचा जाता है। मशरुम के व्यापार से पुष्पा प्रति दिन 1000-1500 रुपये कमा पा रहीं है। उनके पति रमेश एक शिक्षक हैं। वे अपनी पत्नी को पूरा सपोर्ट कर रहे हैं।

मशरूम की खेती की और उनकी ट्रेनिंग देने का काम पुष्पा झा एक साथ कर रहीं है। उन्होंने 20 हजार से अधिक महिलाओं को भी मशरुम की खेती की ट्रेनिंग दे दी है और अभी अन्न लोगो को दी जा रहीं है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

बिहार की मशरुम उत्पादक पुष्पा झा के बारे में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती है की वे आज से दस साल पहले लोगों को मशरूम की खेती के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था। फिर पुष्पा के पति को किसी ने इस खेती के बारे में बताया। वह चाहते थे कि पुष्पा घर पर खाली बैठे रहने की बजाए कुछ काम कर लें।

मशरूम की खेती की ट्रेनिंग (Mushroom Cultivation Training) लेने का फैसला लिया

फिर पुष्पा जी ने समस्तीपुर के पूसा विश्वविद्यालय से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग लेने का मन बना लिया। जब वे वहां ट्रेनिंग लेने पहुंची, तो सभी सीटें भर चुकी थीं। लेकिन रमेश ने अधिकारियों से रिक्वेस्ट की और वे मान गए। फिर दोनों पति पत्नी ने एक साथ 6 दिनों की ट्रेनिंग पूरी कर ली।

आज के समय में किसी भी महीने में मशरूम की खेती की जा सकती है। उन्होंने सितंबर महीने में 2010 से इसकी खेती शुरू कर दी थी। शुरू में पूसा विश्वविद्यालय से ही 1000 बैग लाए और दो कट्ठे के खेत में झोपड़ी बनाकर मशरूम की खेती शुरू हुई। एक बैग में लगभग 800 से 1000 ग्राम मशरूम थे। उस समय उस क्षेत्र में लोग मशरूम की खेती के बारे में नहीं जानते थे।

मशरुम उत्पादन और व्यवसाय में कई मुश्किलें आईं

पुष्पा ने शुरू शुरू में अपने उगाये गए मशरूम को लोगो को फ्री में बांटा। उस वक़्त लोग इसे जहरीला मान कर फेक दिया करते थे। लेकिन पुष्पा ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने मशरुम 200-200 ग्राम का पैक बनाकर सब्जी बेचने वाली महिलाओं को बेचने के लिए सप्लाई करना शुरू किया। यह प्रयोग सफल रहा था।

पुष्पा ने लगभग 50 हजार रुपये से मशरूम की खेती (Mushroom Farming) शुरू की थी। साल 2011 में वह मशरूम बीज की ट्रेनिंग के लिए फिर से पूसा विश्वविद्यालय गई। यह ट्रेनिंग एक महीने की थी। इस समय गांव के कुछ लोगों ने पुष्पा के मशरुम फार्म को जला दिया। इतना सब होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। पुष्पा के पति ने दूसरा फार्म तैयार कर दिया।

एक नंबर न्यूज़ (Ek Number News) की टीम से नितिन चौरसिआ (Nitin Chourasia) ने पुष्पा दीदी से फ़ोन कॉल के माध्यम से बात करके जानकारी हासिल की। कुछ साल बड़ी मुश्किलों के साथ काम करते हुए आज वे सफलता का वो मुकाम हासिल कर चुकी है, जिसे अब कोई नहीं जला सकता है। आज पुष्पा एक सम्मानीय शक्शियत बन गई है। खेत्र में उनका रुतबा है। अब उनका मशरुम दरभंगा के स्थानीय बाजार के अलावा, बिहार के दूसरे जिलों में भी बेचा जा रहा है।

पुष्पा झा को ‘अभिनव किसान पुरस्कार’ मिला

इसके अलावा वे पूसा विश्वविद्यालय के जरिए कई लोगों को मशरूम सुखाकर भी बेचते हैं। जिससे बिस्कुट, टोस्ट, चिप्स जैसी कई चीजें बनाई जाती हैं। पुष्पा को मशरूम की खेती और इसके व्यवसाय में अपने योगदान के लिए साल 2017 में विश्वविद्यालय द्वारा ‘अभिनव किसान पुरस्कार’ समेत कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है।अगर कोई यह जानना चाहता है की मशरुम की खेती कैसे करे (How To Do Mushroom Farming and Training) या इसकी ट्रेंनिंग कहा से ले, तो वे पुष्पा झा से संपर्क कर सकते है। उनका संपर्क नंबर (Pushpa Jha Contact Number: 9122999003) उनके बैनर में भी दर्शाया गया है। पुष्पा ने एक हिंदी अख़बार को बताया की मैं अबतक 20 हजार से अधिक लोगों को ट्रेनिंग दे चुकीं हूं। अब वे निरंतर आगे बढ़ रहीं है और क्षेत्र के लोगो के लिए सम्मानीय दीदी और मिसाल है।