​यूक्रेन में 50 साल पुराने T-62 टैंक उतारने को मजबूर हुए पुतिन, जेलेंस्की ने बनाया रूसी टैंकों का कब्रिस्तान

T 62 Tanks In Ukraine: यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस को न केवल जंग के मैदान में मात खानी पड़ रही है, बल्कि उसे एक और मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है। रूस के हथियारों का जखीरा खाली हो गया है। अब पुतिन ने इससे निपटने के लिए 50 साल पुराने शीत युद्ध के समय के टैंकों पर दांव लगाया है। रूस ने 800 T-62 टैंकों को अपग्रेड करना शुरू किया है। इससे उसकी पोल खुलती दिख रही है।

रूस और यूक्रेन में जंग शुरू हुए करीब 8 महीने हो गए हैं और अब रूसी हथियारों का जखीरा खाली होता जा रहा है। यूक्रेन की सेना ने अमेरिकी टैंक रोधी जेवलिन मिसाइल और तुर्की के बायरकतार ड्रोन की मदद से सैकड़ों की तादाद में रूस के टैंकों का शिकार किया है। इस जंग में रूस के सबसे आधुनिक टी-90 से लेकर टी-72 टैंक तक यूक्रेनी हमले का शिकार हुए हैं। हथियारों का जखीरा खाली होने की वजह है कि अब रूस को बड़े पैमाने पर हमलावर ड्रोन विमान ईरान से खरीदना पड़ रहा है। वहीं अब रूस अपनी सेना की मदद के लिए 50 साल पुराने बेकार हो चुके शीत युद्ध के समय के टैंकों पर दांव लगाने जा रहा है। रूस ने ऐसे 800 टैंकों को फिर से आधुनिक बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। आइए जानते हैं इस रूसी टैंक के बारे में सबकुछ….

‘कबाड़’ से यूक्रेन की जंग लड़ेगा रूस

रूसी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक रूस 800 टी-62 टैंकों को फिर से आधुनिक बनाने में जुट गया है। इन टैंकों अगले 3 सालों में आधुनिक बनाकर उन्हें रूसी सेना में शामिल किया जाएगा। इससे पहले रूस ने कुछ चलने फिरने में सक्षम टी-62 टैंकों को पहले यूक्रेन में भेजा था लेकिन अब कबाड़ में रखे गए इन टैंकों को बाहर निकालकर उसे फिर से आधुनिक बनाया जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि रूस के इस ताजा कदम से यह साबित हो रहा है कि वह पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से जूझ रहा है और इसका असर हथियार उद्योग पर भी पड़ रहा है। इससे यह भी साबित होता है कि रूस की सेना को सैकड़ों की तादाद में टैंकों का नुकसान उठाना पड़ा है और इसके बदले में रूस के पास कोई अत्याधुनिक टैंक बचा नहीं है। यही नहीं बड़ी संख्या में यूक्रेन की सेना ने रूसी टैंकों पर कब्जा भी कर लिया है।

​जानें कितना खतरनाक है टी-62 टैंक

-62-

यूक्रेन पर रूस के हमले के करीब 8 महीने हो गए हैं और रूस के एक रिटायर जनरल एंद्रे गुरुलयोव ने रूस के मुख्य टैंक निर्माण केंद्र का दौरा किया था। इस दौरान प्लांट के कर्मचारी टी-62 टैंक को ठीक करते हुए दिखाई दिए थे। जनरल एंद्रे ने कहा कि टी-62 टैंक को नए थर्मल और नाइट विजन ऑप्टिक से लैस किया जाएगा। साथ ही उसमें अतिरिक्त आर्मर लगाया जाएगा ताकि उसे अमेरिका के जेवेलिन मिसाइलों के हमले से बचाया जा सके। उन्होंने टैंक को अपग्रेड करने के बारे में और ज्यादा नहीं बताया। इस टैंक के हथियारों में 115 एमएम की गन और दो मशीन गन लगी हुई हैं। रूस के पास इस समय हजारों की तादाद में टी-62 टैंक मौजूद हैं। ये टैंक उसे सोवियत संघ के जमाने से मिले हुए हैं।

सीरिया में भी जंग लड़ चुका है रूसी टैंक

रूस का पहला टी-62 टैंक साल 1961 में सेना में शामिल हुआ था। सोवियत संघ ने अपने आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत हजारों की तादाद में इस टैंक का निर्माण कराया था। इसमें ज्यादा शक्तिशाली इंजन, आग से बचाव के उपाय और दुश्मन के हमले से बचने के उपकरण लगाए गए थे। इसके कई संस्करण भी आए थे। रूस की सेना पहले से ही इस टैंक का यूक्रेन में इस्तेमाल कर रही है। रूस ने इनमें से कई टैंकों को अपग्रेड करके साल 2017 और 2018 में सीरिया में भी भेजा था। यूक्रेन में भेजे गए इन टैंकों को अतिरिक्त आर्मर से लैस किया गया है ताकि यूक्रेनी मिसाइलों से निपटा जा सके। रूस अब अगले 3 साल में 800 टैंकों को अपग्रेड करेगा लेकिन उनके जंग के मैदान में उतरने को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है।