रूस-यूक्रेन युद्ध में नाबालिग बेटों की बलि चढ़ाने को तैयार हैं पुतिन के वफादार रमजान कादिरोव, लड़ने के लिए भेजा

Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के युद्ध में पुतिन के वफादार चेचेन कमांडर रमजान कादिरोव ने अपने नाबालिग बेटों को भेजने का फैसला किया है। चेचेन कमांडर ने अपने तीन बेटों को युद्ध में भेजा है। रमजान पुतिन के खास लोगों में से एक हैं। कादिरोव ने अपने बेटों का वीडियो शेयर किया है।

ramzan kadyrov
रमजान कादिरोव।

मॉस्को:रूस और यूक्रेन का युद्ध पिछले सात महीनों से जारी है। इस युद्ध में रूस को भले ही बड़ा नुकसान हुआ है, लेकिन पुतिन ने यूक्रेन की लगभग 15 फीसदी जमीन को अपने में मिला लिया है। एक समय जब युद्ध में रूस के नागरिक ही लड़ने से पीछे हट रहे हैं तब पुतिन के वफादार चेचेन्या के कमांडर रमजान कादिरोव ने अपने तीन बेटों की बलि देने का फैसला किया है। रमजान ने अपने तीन नाबालिग बेटों को लड़ने के लिए यूक्रेन की सीमा पर भेज दिया है। कादिरोव यूक्रेन के युद्ध में एक निजी सेना के जरिए पुतिन की मदद कर रहे हैं।

कुछ समय पहले ही उन्होंने रूसी सेना के कमांडर कर्नल-जनरल अलेक्जेंडर लापिन की आलोचना करते हुए उन्हें औसत दर्जे का बताया था। इसके साथ ही कादिरोव ने मांग की थी कि इनके मेडल छीन कर इन्हें लड़ने के लिए भेज देना चाहिए। पूर्वी यूक्रेन के लाइमन में रूसी सेना अपना कब्जा गंवा चुकी है, जिसके बाद कादिरोव ने सेना के अधिकारियों के प्रति अपना विरोध बढ़ा दिया है।

बचपन से ले रहे हैं ट्रेनिंग
टेलीग्राम पर कादिरोव ने अपने बच्चों का एक वीडियो पोस्ट किया और लिखा अखमत (16), एली (15) और एडम (14) हथियार चलाते हुए। उन्होंने आगे लिखा कि वे जल्द ही मुश्किल जगहों पर होंगे। उन्होंने कहा, उनके बच्चे छोटी उम्र से ही युद्ध के लिए ट्रेनिंग ले रहे थे और वह मजाक नहीं कर रहे। कादिरोव ने आगे कहा कि उन्हें अपने आप को साबित करने का एक मौका मिला है। मैं उनकी इस इच्छा का स्वागत करता हूं।

कादिरोव ने की थी परमाणु हमले की मांग
कादिरोव रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से ही सबसे मुखर समर्थक रहे हैं। कादिरोव बहुत पहले से मांग करते आए हैं कि पुतिन को टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करना चाहिए। हाल ही में उन्होंने एक बार फिर ये मांग उठाई थी। रूस ने सोमवार को उनकी इस मांग को खारिज कर दिया। रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कादिरोव के बयान पर जवाब देते हुए कहा, ‘यह एक भावनात्मक क्षण है। क्षेत्रों के प्रमुखों को अपनी बात कहने का अधिकार है’