Putin Modi Phone Call: पुतिन ने 1 साल में 5वीं बार की पीएम मोदी से फोन पर बात, रूस को यूं ही नहीं आ रही ‘दोस्त’ भारत की याद, समझें

Modi Putin Talk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच शुक्रवार को फोन पर बात हुई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति पर चर्चा की। दोनों नेताओं की बातचीत में ऊर्जा सहयोग, व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा सहयोग और अन्य प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। यह दोनों नेताओं की पांचवी बातचीत है।

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पीएम मोदी और पुतिन ने फोन पर की बात।
मॉस्को: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए रूस नहीं जाएंगे। यह तय होने के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी ने शुक्रवार को फोन पर बात की। रूस की ओर से पहल पर यह बातचीत हुई। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने रूस यूक्रेन युद्ध और भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति पर चर्चा की। यूक्रेन हमले के बाद इस साल दोनों नेताओं की यह पांचवी बातचीत है। भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर युद्ध की जगह बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाने का आह्वान किया है।

भारत ने कहा कि दोनों नेताओं ने, ‘द्विपक्षीय संबंधों के कई पहलुओं की समीक्षा की, जिसमें ऊर्जा सहयोग, व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा सहयोग और अन्य प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।’ हालांकि रूस की ओर से जारी बयान में रक्षा और सुरक्षा का जिक्र नहीं किया गया। इस बातचीत से पहले प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने इसी साल 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO समिट से अलग मुलाकात की थी। यहां पीएम मोदी नेे कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है।

दोनों नेताओं ने आगे भी बातचीत पर जताई सहमति

बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने पुतिन को G20 में भारत की मौजूदा अध्यक्षता के बारे में जानकारी दी और इसकी प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन की भारत की अध्यक्षता के दौरान दोनों देशों के एक साथ काम करने की भी उम्मीद जताई। रूस की ओर से बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने आगे भी आपसी बातचीत पर सहमति जताई। रूस ने दोनों देशों के बीच बढ़ रहे रणनीतिक साझेदारी और सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। इसमें उन्होंने आपसी निवेश, ऊर्जा, कृषि जैसे मुद्दों पर चर्चा की।

क्यों खास है बातचीत

दरअसल यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही रूस पर दुनिया भर के प्रतिबंध लगा दिए गए। कई देशों ने उससे कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया। लेकिन भारत लगातार रूस से कच्चा तेल खरीदता रहा। रूस भी भारत को सस्ते दाम पर तेल उपलब्ध कराता रहा है। G7 देश इसे युद्ध की फंडिंग के तौर पर देखते हैं, इसलिए हाल ही में उन्होंने रूसी तेल पर 60 डॉलर के दाम का एक कैप लगा दिया। यानी कोई भी देश इससे ज्यादा की कीमत पर तेल नहीं खरीदेगा। वहीं पुतिन कह चुके हैं कि कोई भी देश जो इस कैप को मानेगा उसे तेल नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं दुनिया भर के जहाजों का इंश्योरेंस करने वाली पश्चिमी कंपनियां अब रूसी तेल टैंकरों का इंश्योरेंस नहीं कर रही हैं, जिससे जहाजों से तेल भेजना मुश्किल हो रहा है। ऐसे समय में दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत खास है। युद्ध शुरू होने के बाद रूस से भारत को तेल के निर्यात में 14 गुना की बढ़ोतरी हुई है।