यूक्रेन युद्ध से जान छुड़ाना चाहते हैं पुतिन, नरम पड़ चुके हैं तेवर, बातचीत को बेताब! ‘दोस्त’ ने किया बड़ा दावा

Russia Ukraine War News : तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा कि पुतिन पहले की तुलना में ‘अधिक नरम और बातचीत के लिए अधिक तैयार’ दिखाई दे रहे हैं। उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि वह शुरू से ही वार्ता के लिए तैयार थे।

मॉस्को : रूस और यूक्रेन का युद्ध कुछ दिनों में अपने आठ महीने पूरे कर लेगा। रूसी सेना को लग रहे एक के बाद एक झटकों के बीच रूस के रक्षा मंत्री ने अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ वार्ता की है। यह दुर्लभ बातचीत इस बात का संकेत देती है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यूक्रेन युद्ध पर ‘सख्त रुख’ अब नरमी की तरफ बढ़ रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने शुक्रवार को कहा कि पुतिन पहले की तुलना में ‘अधिक नरम’ और यूक्रेन के साथ बातचीत को लेकर ‘अधिक तैयार’ दिखाई दे रहे हैं।

अल जजीरा की खबर के अनुसार, संघर्ष को खत्म करने के लिए बातचीत की संभावना के बार में एर्दोगन ने कहा कि उम्मीद अभी बाकी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने एर्दोगन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ‘शुरू से ही’ यूक्रेन के साथ वार्ता के पक्षधर थे और इस संबंध में ‘कुछ भी नहीं बदला है।’ उन्होंने कहा कि ‘अगर आपको याद हो तो राष्ट्रपति पुतिन ने विशेष सैन्य अभियान से पहले ही नाटो और अमेरिका दोनों के साथ बातचीत शुरू करने का प्रयास किया था।’
अमेरिका और रूस के रक्षा मंत्रियों ने की बात
पेस्कोव ने कहा कि पुतिन वार्ता के पक्षधर थे, जब रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच एक दस्तावेज पर लगभग सहमति हो गई थी। इस संबंध में कुछ भी नहीं बदला है। यूक्रेनी पक्ष की स्थिति बदल गई है… यूक्रेनी कानून अब किसी भी बातचीत पर रोक लगाता है। शुक्रवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगू से फोन पर बात की थी। दोनों ने युद्ध के बीच संवाद बनाए रखने पर जोर दिया था।

अमेरिका या तुर्की के साथ आने को तैयार रूस
इस महीने की शुरुआत में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक इंटरव्यू में कहा था कि रूस इस युद्ध को खत्म करने के तरीकों पर अमेरिका या तुर्की के साथ जुड़ने के लिए तैयार है। लेकिन बातचीत के लिए अभी तक कोई गंभीर प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। इस युद्ध ने दुनिया को परमाणु हमले की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी स्वीकार किया था कि 1962 क्यूबा मिसाइल संकट के बाद से परमाणु हमले का खतरा अपने चरम पर है।