QUAD Summit: क्वाड नेताओं की चीनी टेलिकॉम सेक्टर की कंपनीयों पर प्रतिबंध के लिए सहमति बनती दिखाई दे रही है.

QUAD Summit: चीनी टेलिकॉम सेक्टर की कंपनीयों पर प्रतिबंध के लिए अब क्वाड नेताओं की सहमति बनती दिखाई दे रही है. भारत और अमेरिका पहले ही ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुके है हैं. चीनी टेलिकॉम कंपनी जो टेलिकॉम उपकरण बनाती हैं उन पर जासूसी कर डेटा चोरी के आरोप दुनिया भर में लगे हैं. इसके बाद अब क्वाड के नेता इन चीनी कंपनियों पर लगाम लगाने की रणनीति बना रहे हैं.
क्वाड बैठक से जुड़े सूत्र ने बताया कि हुआवेयी टेक्नोलोजी जैसी कंपनी टेलिकॉम के सेक्टर में बड़ी हिस्सेदारी दुनिया में रखती है. भारत इस कंपनी पर प्रतिबंध लगा चुका है. अमेरिका ने भी कई चीनी कंपनी पर जासूसी के आरोप लगाने के बाद प्रतिबंध लगाए हैं. क्वाड नेता ये महसूस करते हैं कि चीनी कंपनियों के मुकाबले कई टेलिकॉम सेक्टर की कंपनी बेहतर प्रदर्शन करती हैं उनको पब्लिक प्राइवेट पार्ट्नर्शिप के ज़रिए 5G और 6G में क्वाड देशों की विभिन्न कंपनियों को प्राथमिकता दी जाए.
चीनी कंपनी सस्ते दामों की वजह से दुनियाभर में धुसपैठ कर रहे
क्वाड नेताओं ने माना है कि उनके देशों की टेलिकॉम कंपनी हुआवेई के मुकाबले बेहद प्रतिस्पर्धात्मक है और चीनी कंपनियों को टेलिकॉम सेक्टर से बाहर करने में सक्षम हैं. ये चीनी कंपनी अपने पेटेंट और सस्ते दामों की वजह से दुनिया भर में घुसपैठ कर रही हैं जो ना केवल लोकतांत्रिक देशों के संप्रभुता और सुरक्षा के लिए ख़तरा है बल्कि डेटा चोरी कर उपभोक्ता के निजता को भी भंग करती है. इस चोरी किए डेटा का इस्तेमाल चीनी कंपनी खुले बाज़ार में करती है और अपने व्यवसाय में अवैध तरीके से इस्तेमाल करती है.
क्वाड देशों की टेलिकॉम कंपनीयों को ज़्यादा प्राथमिकता दी जाए
क्वाड देश अब इस पर सहमत हो गए हैं कि क्वाड देशों की टेलिकॉम कंपनीयों को ज़्यादा प्राथमिकता दी जाए ताकि चीनी टेलिकॉम कंपनियों को बाहर किया जा सके. इस पर चीन पर दोहर प्रहर होगा. उसके आर्थिक हित पर आघात होगा साथ ही साथ क्वाड देशों के सुरक्षा से समझौता भी नहीं होगा.