लंदन. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताबूत कथित तौर पर तीन दशक से अधिक समय पहले तैयार किया गया था. रानी के ताबूत को कम से कम 32 साल पहले अंग्रेजी ओक की लकड़ी से बनाया गया था, जो आजकल दुर्लभ है. अब ज्यादातर लकड़ी के ताबूत अमेरिकी ओक से बन रहे हैं. यह चारों ओर से शीशा से बना हुआ है, यह एक शाही परंपरा है जो शव को कब्र में दफनाने के बाद लंबे समय तक संरक्षित रखने में मदद करती है.
न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार कहा जाता है कि शीशा ताबूत को वायुरोधी बनाता है, जिससे नमी को अंदर जाने से रोकने में मदद मिलती है लेकिन यह काफी भारी हो जाता है. ताबूत को हिलाने के लिए आठ पालबियरों की आवश्यकता होती है. यह दिवंगत रानी के पति प्रिंस फिलिप के लिए बनाई गई एक अन्य से मेल खाती है जिनकी पिछले साल मृत्यु हो गई थी और उन्हें कब्र में दफनाया गया था.
यूनिक है फीचर्स
ताबूत को विशेष रूप से इसके ढक्कन पर सुरक्षित रूप से कीमती फिटिंग रखने के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें इंपीरियल स्टेट क्राउन, ओर्ब और राजदंड शामिल होते हैं, जो सम्राट की शक्तियों के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. द टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ताबूत पर पीतल के हैंडल भी विशिष्ट रूप से शाही ताबूत के लिए डिजाइन किए गए हैं.
अंतिम यात्रा
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताबूत बीते रविवार को पहली बार सामने आया, जहां उनकी मृत्यु हो गई थी. ताबूत को स्कॉटिश शाही मानक और बाल्मोरल एस्टेट के बगीचों से सफेद हीदर, दहलिया और मीठे मटर की एक माला के साथ कवर किया गया था. यह रविवार रात स्कॉटिश राजधानी एडिनबर्ग में होलीरूडहाउस के महल में रुका था.
महारानी एलिजाबेथ का पार्थिव शरीर सोमवार को खुली ताबूत गाड़ी में यात्रा करने के बाद बुधवार तक लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में पहुंचेगा.