नूपुर शर्मा: इस्लामिक देशों की चीन पर चुप्पी को लेकर सवाल
एक ओर जहाँ जाने-माने सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने चीन और भारत की तुलना करते हुए मुस्लिम देशों पर निशाना साधा है तो वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि बीजेपी ने विवादित बयान पर दूसरे देशों के विरोध के बाद कार्रवाई की है. चेलानी का कहना है कि भारत को लेकर मुखर इस्लामिक देश चीन के मामले में चुप रहते हैं.
ब्रह्मा चेलानी ने अपने ट्वीट में कहा है, ”इस्लाम पर चीन के हमले को लेकर कई मुस्लिम देश चुप रहते हैं. चीन में 10 लाख से ज़्यादा मुसलमानों को निगरानी में रखा गया है और क़ुरान को भी ज़ब्त कर लिया जाता है. दो भारतीयों को मुस्लिम विरोधी टिप्पणी को लेकर सत्ताधारी पार्टी ने बाहर कर दिया है. क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि ये भारत को नरम देश के रूप में देखते हैं.”
चीन में वीगर मुसलमानों के ख़िलाफ़ उसकी क्रूरता को लेकर मुस्लिम देशों में ख़ामोशी रहती है. पहली बार तुर्की ने 2019 में चीन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी और कहा था कि चीन ने लाखों मुसलमानों को नज़रबंदी शिविर में बंद रखा है. तुर्की ने चीन से उन शिविरों को बंद करने की मांग की थी. तुर्की के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हामी अक्सोय ने कहा था कि चीन का यह क़दम मानवता के ख़िलाफ़ है. तुर्की के अलावा दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश ने चीन के इस रुख़ के ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठाई थी. हालांकि नूपुर शर्मा के मामले में तुर्की ने आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है.
वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहा, “दस दिन के बाद बीजेपी प्रतिक्रिया देती है और वो भी कब…जब देश के उपराष्ट्रपति क़तर के लिए प्लेन में बैठ जाते हैं और उन्हें बताया जाता है कि आपके लिए जो बैंक्वेट बुक था, उसे रद्द कर दिया गया. क़तर की सरकार हमारे उच्चायुक्त को बुलाकर माफ़ी मांगने को कहती है. उसके बाद बीजेपी फ़ौरन हरकत में आती है.”
ओवैसी ने कहा, “मैंने देश के पीएम से कहा कि वो अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें क्योंकि उन्होंने ग़लत कहा है पर देश के प्रधानमंत्री टस से मस नहीं हुए. दस दिन के बाद जब खाड़ी देशों में ये मसला बहुत बड़ा हो चुका था, तब बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता को हटा दिया. ये ग़लत है, क्योंकि एक्शन तो दस दिन पहले होना चाहिए था.”