भारी ट्रक, जेसीबी, रोड रोलर, बुलडोज़र को सड़कों पर चलते तो देखा ही होगा. ड्राइवर सीट पर ग़ौर करो तो उस पर एक पुरुष ही नज़र आता है. ऐसी भारी गाड़ियों की ड्राइविंग सीट पर महिलाएं न के बराबर नज़र आती है. ये ‘पुरुषों वाले काम’ में ही आते हैं और बहुत से लोग इस वजह से ये समझने लगते हैं कि महिलाएं ये काम नहीं कर सकतीं. उन सब लोगों की सोच को बदल रही हैं राधामणि अम्मा. ख़ास बात यह है कि ये कारनामा राधामणि अम्मा 71 साल की उम्र में कर रही हैं.
साबित किया, उम्र सिर्फ़ एक संख्या है
लोग ये मानते हैं कि महिलाएं ड्राइविंग नहीं जानती. थोप्पुमपाडी, केरल की राधामणि अम्मा ने इस सोच को चुनौती दी. यही नहीं उन्होंने ये भी साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ़ एक संख्या है. इंसान अगर चाहे तो वो किसी भी उम्र में कुछ भी हासिल कर सकती हैं. राधामणि बड़ी सरलता और कुशलता से भारी गाड़ियों की स्टीयरिंग संभालती हैं.
30 साल की उम्र में शुरु की ड्राइविंग
राधामणि ने 30 साल की उम्र से गाड़ी चलाना शुरु किया की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सबसे पहले कार चलाना सीखा. पति के कहने पर उन्होंने सबसे पहले गाड़ी चलाना शुरु किया और धीरे-धीरे उन्हें ड्राइविंग करने का शौक चढ़ गया.
11 तरह की भारी गाड़ियां चलाने का लाइसेंस
राधामणि अम्मा ने 1981 में सबसे पहले लाइट मोटर वेइकल लाइसेंस लिया था. 1988 में उन्हें हेवी वेइकल चलाने (बस और ट्रक) का लाइसेंस मिला. उन्होंने उस दौर में ये कर दिखाया जब महिलाएं दो पहिया वाहन चलाने में भी हिचकिचाती थीं. राधामणि के पास 11 तरह की भारी गाड़ियां चलाने के लाइसेंस है और वे 20 किस्म की भारी गाड़ियां चलाने में सक्ष्म हैं. अर्थमूवर्स, फ़ोर्कलिफ़्ट, मोबाइल क्रेन, रफ़ टरेन क्रेन, ट्रेलर जैसी गाड़ियां चला सकती हैं राधामणि. 2021 में उन्हें हज़ार्ड्स गुड्स ट्रांसपोर्टेशन लाइसेंस मिला.
इंस्टीट्यूट भी चलाती हैं
राधामणि अम्मा को न सिर्फ़ ड्राइविंग का शौक हैं बल्कि वो ड्राइविंग क्लासेज़ के ज़रिए दूसरों को ड्राइविंग करना भी सीखा रही हैंa . Feminकी रिपोर्ट के अनुसार, वे A2Z हेवी वेइकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट नामक संस्था चलाती हैं. राधामणि के पति ने 1978 में उनेक ही नाम पर इस संस्था की शुरुआत की थी.
राधामणि अम्मा उन सभी को करारा जवाब है जो महिलाओं को खराब ड्राइवर्स कहते हैं.