कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा इस वक्त कर्नाटक के चित्रदुर्ग से होकर गुजर रही है। गुरुवार शाम को राहुल गांधी ने पानी की टंकी पर चढ़कर तिरंगा फहराया। इस दौरान उनके साथ पूर्व सीएम सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार भी मौजूद रहे।
चित्रदुर्ग: कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा इस वक्त कर्नाटक के चित्रदुर्ग में है। यहां गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पानी की टंकी पर चढ़कर तिरंगा फहराया। इस दौरान उनके साथ पूर्व सीएम सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार भी मौजूद रहे। इससे पहले राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस कर्नाटक के लोगों और उनकी भाषा पर हमला करते हैं तो उन्हें उनकी पार्टी की पूरी ताकत का सामना करना पड़ेगा
राहुल गांधी की टिप्पणी के कुछ दिनों पहले जनता दल (सेक्युलर) के नेता कुमारस्वामी ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षा केवल हिंदी और अंग्रेजी में आयोजित की जा रही है, न कि किसी क्षेत्रीय भाषा में। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत चित्रदुर्ग जिले के मोलाकलमुरु शहर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि बेरोजगार युवाओं ने उनसे पूछा कि वे कन्नड़ में अपनी परीक्षा क्यों नहीं दे सकते।
कन्नड़ में आंसर शीट लिखने की मिले अनुमति
राहुल गांधी कहा कि लोगों को कन्नड़ में उत्तर पुस्तिका लिखने की अनुमति दी जानी चाहिए, यह भाषा केवल वह नहीं है जिसका उपयोग आप एक दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि भाषा इतिहास है, संस्कृति है, यह कल्पना है और किसी को भी लोगों को उनकी भाषा में बोलने से रोकने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने कहा, ‘ये ऐसे कुछ विचार हैं जिन्हें बीजेपी और आरएसएस बढ़ावा दे रहे हैं। उनके लिए कन्नड़ एक द्वितीयक भाषा है। इसका सम्मान नहीं करना है। हमारे लिए कन्नड़ प्राथमिक महत्व का है। अगर बीजेपी और आरएसएस को लगता है कि वे कन्नड़ भाषा पर, कर्नाटक के लोगों पर, कर्नाटक के इतिहास पर हमला कर सकते हैं, तो उन्हें कांग्रेस पार्टी की पूरी ताकत का सामना करना होगा।’
पूरी कांग्रेस पार्टी का करना पड़ेगा सामना
कन्नड़ को लेकर विवाद के बीच राहुल गांधी ने जनसभा से कहा कि कोई भी कर्नाटक के लोगों को यह निर्देश नहीं दे सकता है कि उन्हें अपना जीवन कैसे जीना चाहिए, और कोई भी राज्य के लोगों को यह नहीं बता सकता कि उनके बच्चे किस भाषा में परीक्षा दे सकते हैं।
गांधी ने कहा, ‘अगर कर्नाटक के लोग कन्नड़ बोलना चाहते हैं, तमिलनाडु के लोग तमिल बोलना चाहते हैं और केरल के लोग मलयालम बोलना चाहते हैं तो उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’