चीन ने अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन उतार दी है। यह एशिया की पहली और दुनिया की दूसरी हाइड्रोजन ट्रेन है। जर्मनी ने पिछले साल अगस्त में दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाई थी। इन ट्रेनों से प्रदूषण नहीं होता है और इन्हे पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है। भारत में भी इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है।
नई दिल्ली: जर्मनी के बाद चीन ने भी हाइड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) शुरू कर दी है। चीन की सरकारी कंपनी CRRC Corporation Ltd. ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन लॉन्च की है। यह एशिया की पहली और दुनिया की दूसरी हाइड्रोजन ट्रेन है। चीन की हाइड्रोजन ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है और एक बार गैस भराने पर 600 किमी तक चल सकती है। रफ्तार के मामले में चीन की ट्रेन जर्मनी की ट्रेन से आगे है लेकिन माइलेज के मामले में पीछे है। पिछले साल अगस्त में शुरू हुई जर्मनी की ट्रेन 140 किमी की रफ्तार से चल सकती है लेकिन सितंबर में इसने 1175 किमी की रेकॉर्ड माइलेज दी थी। भारत में भी हाइड्रोजन ट्रेन पर तेजी से काम हो रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) का कहना है कि भारत की पहले हाइड्रोजन ट्रेन इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी जो दुनिया की स्वच्छ ट्रेन होगी।
हाइड्रोजन ट्रेनों की शुरुआत सबसे पहले अगस्त 2022 में जर्मनी में हुई थी। जर्मनी ने 14 हाइड्रोजन ट्रेनों का बेड़ा लॉन्च किया गया था। इन ट्रेनों को फ्रांस की कंपनी Alstom ने तैयार किया है। इनमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल का इस्तेमाल किया गया है। ट्रेनों की छतों पर हाइड्रोजन को स्टोर किया जाता है और ऑक्सीजन से मिलने पर यह H2O यानी पानी बनाता है। इस प्रक्रिया में बनने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल ट्रेनों को चलाने के लिए किया जाता है। इसमें किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है और इंजन किसी तरह की आवाज नहीं करता। जर्मनी की हाइड्रोजन ट्रेन की माइलेज 1,000 किमी है लेकिन सितंबर में यह 1175 किमी तक पहुंच गई थी।
भारत में कब आएगी हाइड्रोजन ट्रेन
भारत भी हाइड्रोजन गैस से चलने वाली ट्रेनों का विकास कर रहा है। यह ट्रेन पूरी तरह स्वदेशी होगी, जिसका डिजाइन भारतीय इंजीनियर तैयार कर रहे हैं। रेल मंत्री का कहना है कि इस साल के अंत तक भारत में हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली ट्रेन तैयार हो जाएगी। इनका डिजाइन मई-जून 2023 तक सामने आ जाएगा। रेलवे ने फाइनेंशियल ईयर 2030 तक नेट जीरो कार्बन एमिटर बनने का लक्ष्य रखा है। इस दौरान 63 करोड़ यूनिट बिजली बचाने का अनुमान है जो 5.1 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन के बराबर है। इस लक्ष्य को हासिल करने में हाइड्रोजन ट्रेन की अहम भूमिका हो सकती है।
चीन की हाइड्रोजन ट्रेन को फुक्सिंग हाई-स्पीड प्लेटफॉर्म के आधार पर विकसित किया गया है और इसमें चार डिब्बे हैं। CRRC ने 2021 में भी एक शंटिंग लोकोमोटिव बनाया था। इससे पहले कंपनी हाइड्रोजन ट्राम बना चुकी है। चीन की ट्रेन पर ऑटोमेशन, कंपोनेंट मॉनीटरिंग सेंसर्स और 5जी डेट्रा ट्रांसमिशन इक्विपमेंट लगाए जाएंगे। माना जा रहा है कि इस ट्रेन को चलाने से डीजल ट्रेन की तुलना में सालाना 10 टन कार्बन डाई ऑक्साइड का कम उत्सर्जन होगा।