Railway: सामरिक महत्व की भानुपल्ली-बिलासपुर रेललाइन के लिए वन भूमि के चौथे फेज को सैद्धांतिक मंजूरी

चौथे फेज में वन भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भानुपल्ली से बरमाणा तक 63.1 किलोमीटर तक की वन भूमि पर रेललाइन के निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा।

भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन (फाइल फोटो)

भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन के निर्माण के लिए वन भूमि के चौथे फेज को वन मंत्रालय की क्षेत्रीय अधिकार प्राप्त समिति (आरईसी) की बैठक में सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। अब प्रदेश सरकार बध्यात से आगे बरमाणा तक 11 किलोमीटर रेललाइन में इस्तेमाल होने वाली करीब 12 हेक्टेयर वन भूमि को होने वाले नुकसान की राशि का रिकॉर्ड तैयार करेगी। 

इस राशि को रेल विकास निगम प्रदेश सरकार को देगा और प्रदेश सरकार इसे वन मंत्रालय को सौंपेगी, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में अभी दो माह का समय लगेगा। इसके बाद ही इस भूमि पर रेललाइन का निर्माण शुरू कर पाएगा। बताते चलें कि चौथे फेज में वन भूमि में रेललाइन को बिछाने के लिए करीब 1043 पेड़ कटने हैं। वन विभाग ने दिसंबर 2021 में पेड़ों की गिनती करने के बाद अनुमति के लिए फाइल केंद्र सरकार को भेजी थी। वहीं अब आरईसी की बैठक के बाद इसे सैद्धांतिक मंजूरी मिली है।

चौथे फेज में वन भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भानुपल्ली से बरमाणा तक 63.1 किलोमीटर तक की वन भूमि पर रेललाइन के निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा। रेल विकास निगम के तीन और वन विभाग के चार चरणों में बिछाई जा रही रेललाइन के लिए तीन चरणों का रास्ता पहले ही साफ हो चुका है।

1648 बीघा निजी भूमि का अधिग्रहण
रेललाइन के लिए हिमाचल में करीब 1648 बीघा निजी भूमि का अधिग्रहण होना है। इसमें दबट से बध्यात तक 52 किलोमीटर के लिए 50 गांवों में करीब 1110 बीघा और बध्यात से बरमाणा तक 538 बीघा भूमि शामिल है। बध्यात से पीछे 50 गांवों में अधिकतर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। 335 बीघा भूमि का अधिग्रहण होना है, जिसमें से पांच गांवों की जमीन का मोल-भाव कर फाइल अप्रूवल के लिए सरकार को भेज दी है। अप्रूवल मिल जाता है तो इसके बाद बध्यात से पीछे 150 बीघा भूमि ही अधिग्रहण के लिए बचेगी। बध्यात से आगे नौ गांवों की 538 बीघा जमीन की एसआईए स्टडी की फाइल सरकार को भेजी है, इसकी भी अप्रूवल का इंतजार है।  

पीएमओ कर रहा है परियोजना की समीक्षा
भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी-लेह रेललाइन और उदयपुर-श्रीनगर-बारामुला दोनों परियोजनाएं राष्ट्रीय प्रोजेक्टों में शामिल हैं। उत्तर रेलवे ने भी इस परियोजना को प्राथमिकता में शामिल किया है। परियोजना की समीक्षा पीएमओ कर रहा है। इस कारण इससे जुड़ी सभी औपचारिकताएं तय समय में पूरी की जा रही हैं। 

रेललाइन निर्माण के लिए वन भूमि के चौथे फेज को आरईसी की बैठक में सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। मुआवजा राशि तैयार रखी है। जैसे ही प्रदेश सरकार की तरफ से फाइनल अप्रूवल के लिए औपचारिकताएं पूरी होंगी, राशि जमा करवा दी जाएगी। – अनमोल नागपाल, संयुक्त महाप्रबंधक, रेलवे बोर्ड